स्टेट बैंक ऑफ इंडिया SBI में सामने आया करोड़ों का लोन घोटाला ?

भोपाल। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की विदिशा शाखा में सामने आया करोड़ों का लोन घोटाला अब बवंडर बनकर पूरे सर्कल को घेर रहा है। एक ओर जहाँ 2023 में बिना किसी अधिकृत पॉवर के लोन बांटे गए, वहीं दूसरी ओर 20 से अधिक उधारकर्ता अब लापता हैं! जब ब्रांच के पास लोन स्वीकृत करने की शक्ति ही नहीं थी, तो इतनी बड़ी रकम किसके इशारे पर और कैसे स्वीकृत हुई?
बिना किसी डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन, बिना फील्ड विज़िट, बिना किसी क्रेडिट असेसमेंट के फाइलें मंजूर की गईं। ना आवेदकों की सही पहचान की गई, ना उनके बिज़नेस का वजूद, फिर भी करोड़ों की राशि सीधे खातों में ट्रांसफर कर दी गई।
विदिशा में लिखी स्क्रिप्ट?
इस पूरे प्रकरण में भोपाल के सीनियर अफसरों की भूमिका अब शक के घेरे में है। विशेष रूप से तत्कालीन GM एवं वर्तमान GM क्या उस समय के तत्कालीन RM जो कि वर्तमान में DGM पदस्थ है, ये सब मामला उनको प्रमोशन दिलाने के लिए रचा गया था??? आखिर कैसे उस समय के CM क्रेडिट, RM DGM ( जो वर्तमान में GM पदस्थ है) की आंखों के सामने ये घोटाला फल फूल रहा था या फिर ये सबकुछ जानते हुए भी आंखें मूंदे बैठे रहे,
₹50,000 की बीमा पॉलिसी – और करोड़ों का फायदा?
जानकार सूत्र बताते हैं कि इन फर्जी लोन के साथ SBI लाइफ की पॉलिसी बेची गईं, जिनकी औसत राशि मात्र ₹50,000 थी। लेकिन इन बीमा पॉलिसियों ने अधिकारियों के लिए “क्रॉस सेलिंग टारगेट” का जादू चलाया — और इसके आधार पर उन्हें प्रमोशन का टिकट मिल गया। अब सवाल है — क्या SBI में अब घोटालों को टारगेट अचीवमेंट कहा जाता है?
क्या बीमा सेल और सर्कल मैनेजमेंट ने मिलकर इसे “परफॉर्मेंस” का मुखौटा पहनाया? CGM से DMD बने अब सवालों के घेरे में हैं। क्या उन्हें इस पूरे मामले की भनक नहीं थी? या फिर उनके संरक्षण में ही यह खेल खेला गया? क्या प्रमोशन की हड़बड़ी ने ईमानदारी और पारदर्शिता को कुचल दिया?
इतिहास खुद को दोहरा रहा है?
पहले भी SBI पर इसी तरह के घोटाले उजागर हुए थे — पर समय के साथ दबा दिए गए।क्या इस बार भी वही होगा? या फिर कोई स्वतंत्र जांच एजेंसी सच्चाई की परतें खोलेगी?
यह केवल एक घोटाला नहीं — यह देश के सबसे बड़े बैंक की साख पर हमला है! हर ईमानदार कर्मचारी, हर ग्राहक और हर करदाता को इसका जवाब चाहिए!