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लाड़ली बहना योजना: मई की किश्त का बेसब्री से इंतज़ार, बहनों की निगाहें सरकार पर टिकीं

लाड़ली बहना योजना: मई की किश्त का बेसब्री से इंतज़ार, बहनों की निगाहें सरकार पर टिकीं

भोपाल। लाड़ली बहना योजना: मई की किश्त का बेसब्री से इंतज़ार, बहनों की निगाहें सरकार पर टिकीं। मध्यप्रदेश की महिलाओं के लिए एक बार फिर बड़ी राहत की खबर सामने आई है।  महत्वाकांक्षी लाड़ली बहना योजना के तहत अप्रैल 2025 की किश्त राज्यभर की महिलाओं के बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी गई है। सरकार की इस पहल से करोड़ों महिलाओं के चेहरों पर न केवल मुस्कान लौटी है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूती भी मिली है।

लाड़ली बहना योजना: मई की किश्त का बेसब्री से इंतज़ार, बहनों की निगाहें सरकार पर टिकीं

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1250 रुपये की राशि सीधे खातों में ट्रांसफर

राज्य सरकार द्वारा पात्र महिलाओं को हर महीने ₹1250 की सहायता राशि देने की घोषणा के बाद से यह योजना लगातार चर्चा में बनी हुई है। अप्रैल माह की किस्त भी समय पर वितरण कर दी गई, जिससे कई जरूरतमंद महिलाओं को घरेलू खर्च, बच्चों की पढ़ाई, दवाई या राशन जैसी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में मदद मिली है।

लाभार्थियों की प्रतिक्रिया: ‘अब हाथ फैलाने की ज़रूरत नहीं’

जबलपुर निवासी रेखा बाई ने कहा,

“पहले हर छोटी जरूरत के लिए किसी और पर निर्भर रहना पड़ता था। अब यह मदद मिलने से खुद पर भरोसा बढ़ा है। बच्चों की फीस से लेकर राशन तक के खर्च में आसानी हो रही है।”

सीधी ज़िले की मालती देवी ने बताया कि इस पैसे से उन्होंने अपनी सिलाई मशीन की मरम्मत करवाई और अब वो घर बैठे ही छोटा-मोटा काम करके पैसा कमा पा रही हैं।

सरकार की ओर से निगरानी और समाधान शिविर भी जारी

जहां एक ओर सरकार योजना के प्रचार-प्रसार में लगी है, वहीं यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि कोई पात्र महिला इस सहायता से वंचित न रहे। जिन महिलाओं के खातों में तकनीकी कारणों से राशि नहीं पहुंची है, उनके लिए पंचायत स्तर पर समाधान शिविर लगाए जा रहे हैं।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार:

  • अब तक 1.3 करोड़ से अधिक महिलाएं लाभान्वित

  • DBT (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) के माध्यम से राशि ट्रांसफर

  • पात्रता की समीक्षा लगातार जारी

आर्थिक सहयोग से आत्मसम्मान तक का सफर

लाड़ली बहना योजना महज एक वित्तीय सहायता योजना नहीं है, बल्कि यह महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त करने का प्रयास भी है। इसके जरिए सरकार ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि महिलाएं परिवार ही नहीं, समाज और राज्य की रीढ़ हैं।

समाजसेवियों और विशेषज्ञों की राय

राज्य महिला आयोग की सदस्य साधना ठाकुर का कहना है,

“यह योजना ग्रामीण और शहरी महिलाओं के बीच आत्मनिर्भरता का सेतु बन रही है। इससे महिलाएं निर्णय लेने की स्थिति में आ रही हैं।”

 

निष्कर्ष

“लाड़ली बहना योजना” ने राज्य की करोड़ों बहनों के जीवन में उम्मीद की नई किरण जगाई है। सरकार की यह पहल न केवल आर्थिक सहयोग दे रही है, बल्कि महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा होने के लिए प्रेरित भी कर रही है। लाड़ली बहना योजना: मई की किश्त का बेसब्री से इंतज़ार, बहनों की निगाहें सरकार पर टिकीं

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