गब्बर सिंह टैक्स से सरल GST तक: जानिए सफ़र कैसे बदला
गब्बर सिंह टैक्स से सरल GST तक: जानिए सफ़र कैसे बदला

गब्बर सिंह टैक्स से सरल GST तक: जानिए सफ़र कैसे बदला। देश में GST 2.0 लागू होने से यह इनडायरेक्ट टैक्स कलेक्शन सिस्टम सरल और सिंपल हो जाएगा।
गब्बर सिंह टैक्स से सरल GST तक: जानिए सफ़र कैसे बदला
हालांकि, 2017 में इस GST को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ करार दिया था. वैसे तो पहले भी इसका नाम गुड्स एंड सर्विस टैक्स था, लेकिन इसकी जटिलता को देखते हुए विपक्ष ने सरकार को घेरने की कोशिश की थी।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जीएसटी की आलोचना करते हुए इसे बीजेपी का ‘गब्बर सिंह टैक्स’ कहा था. राहुल गांधी ने जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ इसलिए कहा क्योंकि उनके अनुसार सरकार इस टैक्स के जरिए गरीबों की कमाई लूट रही थी. ठीक वैसे ही जैसे फिल्म शोले का विलेन गब्बर सिंह गांववालों से जबरन वसूली करता था।
राजनीति से इतर देखें तो जीएसटी को अब तक भारत के सबसे बड़े सुधारों में से एक माना गया है. इससे कारोबार के लिए टैक्स भरना आसान हुआ, आम जनता का टैक्स बोझ घटा और समय-समय पर सुधार भी किए गए. जीएसटी की औसत दर 2017 में 14.4% थी, जो सितंबर 2019 तक घटकर 11.6% हो गई और SBI की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी 2.0 में और घटकर 9.5% तक आ सकती है. जीएसटी लागू करने का मुख्य उद्देश्य था कि कई अलग-अलग करों की जगह पूरे देश में एक जैसा टैक्स सिस्टम लागू करना. अब जो जीएसटी 2.0 लाया गया है, उसका मकसद इसे और सरल और आम लोगों के लिए बेहतर बनाना है।
अलग-अलग स्लैब से कन्फ्यूजन में थे लोग
जब जीएसटी लागू हुआ था तब इसमें 5%, 12%, 18% और 28% के चार स्लैब थे. अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं को अलग-अलग स्लैब में रखा गया था. हालांकि, शुरुआत में लोग इसे लेकर काफी कन्फ्यूजन में थे. सरकार ने शुरुआत में इतने स्लैब इसलिए रखे जिससे, एक तरफ जनता को राहत मिले और दूसरी तरफ सरकार की कमाई बनी रहे. शुरुआत में राज्यों को राजस्व घाटे का डर था और उन्हें पांच साल तक मुआवजे की गारंटी दी गई थी. इसलिए शुरू में स्लैब घटाने जैसे बड़े फैसले लेना आसान नहीं था.
तकनीकी दिक्कतें थीं चुनौती
GST के शुरुआत दौर में तकनीकी दिक्कतें थीं. छोटे कारोबारियों के लिए डिजिटल रिटर्न और चालान मिलान जैसी समस्याएं भी थीं. तब सरकार की प्राथमिकता सिस्टम को स्थिर करना था, न कि स्लैब घटाना. 2020 आते-आते कोरोना महामारी ने हालत और खराब कर दी. टैक्स कलेक्शन घटा, सरकार और राज्यों पर स्वास्थ्य व कल्याण का बोझ बढ़ा. उस समय टैक्स दरें घटाने से राजकोषीय घाटा और बढ़ जाता. हालांकि 2017 के बाद कई बार दरों में बदलाव हुआ. कई वस्तुएं 28% स्लैब से बाहर लाई गईं.
अब जीएसटी 2.0 क्यों?
महामारी के बाद जीएसटी कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है. बेहतर तकनीक, कड़ी जांच और चोरी घटने से सिस्टम मजबूत हुआ. अब सरकार के पास कर कटौती से होने वाली घाटे को झेलने की क्षमता है. पहले छोटे कारोबारियों को जोड़ना, तकनीकी गड़बड़ियां सुधारना और रिटर्न-रिफंड आसान बनाना जरूरी था. अब सालों का अनुभव और डेटा होने से बड़ी संरचनात्मक सुधार करना संभव है. जो टैक्स एक समय गब्बर सिंह टैक्स कहा गया था, वही अब आसान बन गया है. उम्मीद है कि जीएसटी 2.0 से कारोबार और सरकार दोनों के लिए अनुपालन आसान होगा और आम जनता को भी बड़ा लाभ मिलेगा।
गब्बर सिंह टैक्स से सरल GST तक: जानिए सफ़र कैसे बदला