Katni Navratri 2023 महाष्टमी पर जगतजननी के दर्शनार्थ सड़कों पर श्रद्धालुओं का सैलाब, सुंदर प्रतिमाओं को निहारते थक नहीं रहीं आंखें

Katni Navratri 2023 (रोहित सेन) शहर उपनगर ही नहीं ग्रामीण क्षेत्र में जगतजननी के दर्शन के लिए सड़कों पर उमड़े। आज नवमीं पर यह क्रम जारी रहेगा। दुल्हन सी सजी सड़कों पर प्रकाशवान बल्ब, तथा साज सज्जा से शहर की सड़कें चमक उठीं। मेंन रोड, सुभाष चौक, कचहरी चौक, आजाद चौक, लक्ष्मीनारायण मंदिर रोड, घण्टाघर, झंडा बाजार, गोलबाजार, सब्जी मंडी, नई बस्ती, शिवनगर, ओव्हर ब्रिज, खिरहनी, एनकेजे, माधवनगर, पहरुआ, हाउसिंग बोर्ड, गायत्री नगर, छपरवाह मंगलनगर, आयुद्धनिर्माणि झरा टिकुरिया आदि क्षेत्रों में एक से बढ़कर एक प्रतिमाओं की सुंदर छटा लोगों का मनमोह रहीं थीं।
शक्ति की अराध्य देवी मां दुर्गा के अराधना के क्रम में महाअष्टमी को मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी का आह्वान कर विधिवत पूजा अर्चना की गई।
दिनभर पूजन की के साथ कन्या भोज के कार्यक्रम भी हुए। इसके बाद शाम होते ही सड़कों पर श्रद्धालुओं का सैलाब मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन करने शहर में पैदल तो कहीं वाहनों से मध्य रात्रि तक घूमता रहा।
मां के इस स्वरूप के दर्शन-पूजन के लिए रविवार को सुबह से ही दुर्गा मंदिरों एवं पूजा पंडालों में पुरूषएवं महिला श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। ऐसी मान्यता है कि महागौरी की अराधना कल्याणकारी है।
इनकी अराधना से भक्त कष्टों से मुक्त रहते हैं और उन्हें मनांवाछित फल प्राप्त होता है। महाअष्टमी मां दुर्गा की अराधना का महत्वपूर्ण दिन होता है।
महाअष्टमी पर श्रद्धालुओं ने उपवास रखकर मां दुर्गा की अराधना की, जो भक्त नवरात्र के नौ दिन व्रत नहीं रखते हैं, वे भी महाअष्टमी के अवसर पर व्रत रखते हैं। महाअष्टमी पर मां दुर्गा को अठवाई चढ़ाने की पंरपरा हैं।
दुर्गास्थान मंदिर सहित अन्य पूजा स्थलों पर अठवाई चढ़ाने के लिए महिलाओं की भीड़ देखी गई। महाअष्टमी पूजा प्रारंभ होने के साथ ही सिलसिला शुरू हुआ जो दिन भर चला।
दुर्गा मंदिरों में डलिया चढ़ाने के लिए महिलाओं की उमड़ी भीड़ के कारण खड़ा होने की जगह नहीं थी। दुर्गा मंदिर में शहर के अलावे आसपास के ग्रामीण क्षेत्र महिलाएं पूजन के लिए आती हैं।
पूजा स्थलों पर भारी संख्या में महिलाएं एवं पुरूष अपने परिवारजनों के साथ मां की अराधना में तल्लीन देखे गए। जालपा मढ़िया सहित पूजा स्थलों पर मेला जैसा दृश्य था है।
पूजा स्थलों के इर्द-गिर्द विभिन्न सामानों एवं खिलौने की दुकानों में बच्चे और महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है।
नवरात्र के अंतिम दिन महानवमी को माता के सिद्धदात्री स्वरूप का विशेष शृंगार किया गया। माता रानी के इस दिव्य स्वरूप का भक्तों ने पूरी श्रद्धा भक्ति से पूजन किया। बता दें कि नवरात्र के अंतिम दिन देवी के शक्ति स्वरूप के सिद्धिदात्री रूप के पूजन की मान्यता है। यह देवी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। ऋद्धि-सिद्धि की दात्री के रूप में माता के इस स्वरूप की मान्यता है। ऐसे में भोर के चार बजे से ही भक्तों की कतार लग गई थी। इसके साथ ही माता रानी के पट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए।