Karpoori Thakur Birthday: कभी पंडित, कभी मौलवी, कुली… तब हर हफ्ते हुलिया बदल लेते थे कर्पूरी ठाकुर
Karpoori Thakur Birthday : कभी पंडित, कभी मौलवी, कुली... तब हर हफ्ते हुलिया बदल लेते थे कर्पूरी ठाकुर
Karpoori Thakur: कभी पंडित, कभी मौलवी, कुली… तब हर हफ्ते हुलिया बदल लेते थे। आज कर्पूरी ठाकुर का जन्मदिन है. पूरा देश जननायक को श्रद्धांजलि दे रहा है. सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की तो पूरे देश में उनके बारें में चर्चा चल पड़ी. उनके बारे में एक दिलचस्प किस्सा है जब वह हर हफ्ते अपना हुलिया बदल लेते थे
हम सोए वतन को जगाने चले हैं, हम मुर्दा दिलों को जिलाने चले हैं… बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रसिद्ध समाजवादी नेता दिवंगत कर्पूरी ठाकुर ने यह कविता आजादी की लड़ाई के दौरान लिखी थी. बाद में यह समाजवादियों का प्रभात फेरी गीत बन गया. जयंती पर आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. श्रद्धांजलि दे रहा है. कुछ घंटे पहले ही उन्हें देश का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार ‘भारत रत्न’ देने की घोषणा हुई है. ऐसे में आज की पीढ़ी देश के इस अनमोल रत्न के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने के लिए उत्सुक है.
हालांकि बिहार के बच्चे-बच्चे को यह नाम पता है. उन्हें राजनीति का वास्तविक ‘जन नायक’ कहा जाता है. उनकी विरासत पर विचारधाराओं से परे सभी पार्टियां दावा करती रही हैं. वैसे तो बहुत सी किताबें, लेख, संस्मरण ठाकुर के किस्से कहते हैं, लेकिन एक दिलचस्प वाकया उस समय का है जब देश में आपातकाल लागू हो गया था.