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ITR Filing: छोटी इनकम, फिर भी ITR भरें-बैंक से वीजा तक सबमें होगा फायदा

ITR Filing: छोटी इनकम, फिर भी ITR भरें-बैंक से वीजा तक सबमें होगा फायदा

ITR Filing: छोटी इनकम, फिर भी ITR भरें-बैंक से वीजा तक सबमें होगा फायदा। Nil ITR फाइल करना फायदेमंद होता है, भले ही आपकी आमदनी टैक्स योग्य न हो. यह फाइनेंशियल प्रूफ, लोन-क्रेडिट कार्ड, वीजा, और TDS रिफंड में मदद करता है. निवेश में हुए घाटे को कैरी फॉरवर्ड करने का मौका भी देता है. ITR आपकी फाइनेंशियल जिम्मेदारी दर्शाता है, जिससे आने वाले समय में कई फायदे मिलते हैं।

इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने का सीजन जोरों पर है. जिनकी टैक्स देनदारी बन रही है, वे टैक्स बचाने की जुगत में लगे हैं. वहीं, जिनकी सैलरी पर टैक्स नहीं बनता, वे निश्चिंत होकर बैठे हैं और सोचते हैं “हमें क्या करना है, हम तो टैक्स के दायरे में आते ही नहीं!”

नए टैक्स रेजीम में 4 लाख रुपये तक की सालाना सैलरी और पुराने रेजीम में 2.5 लाख रुपये तक की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं बनता. यानी इतनी आमदनी वालों की टैक्स देनदारी शून्य होती है लेकिन क्या आप जानते हैं? जीरो टैक्स देनदारी होने के बावजूद अगर आप ITR फाइल करते हैं, तो इसके कई बड़े फायदे मिलते हैं. ऐसे फायदे जो आपको हर साल ITR फाइल करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं. आइए जानते हैं कि वे फायदे कौन से हैं.

1. फाइनेंशियल प्रूफ का भरोसेमंद दस्तावेज

ITR आपके लिए फाइनेंशियल प्रूफ का काम करता है. चाहे वीजा अप्लाई करना हो या लोन लेना हो, हर जगह ITR मांगा जाता है. मान लीजिए, आप विदेश घूमने का प्लान बना रहे हैं और वीजा अप्लाई करने गए. वहां आपसे इनकम प्रूफ मांगा जाएगा. या फिर बैंक से होम लोन लेने की सोच रहे हैं, तब भी ITR दिखाना पड़ता है. ये दस्तावेज आपकी फाइनेंशियल हिस्ट्री को साफ-साफ दिखाता है, जिससे आपकी विश्वसनीयता बढ़ती है.

2. TDS रिफंड का आसान रास्ता

अगर आपकी सैलरी टैक्स के दायरे में नहीं आती, लेकिन फिर भी बैंक ने आपके फिक्स्ड डिपॉजिट या सेविंग्स अकाउंट के ब्याज पर TDS काट लिया, तो परेशान न हों. ITR फाइल करके आप इस कटे हुए टैक्स को रिफंड के तौर पर वापस पा सकते हैं. उदाहरण के लिए, मान लीजिए आपके FD पर 10,000 रुपये ब्याज आया और बैंक ने उसका 10% TDS काट लिया. अगर आपकी कुल कमाई टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो ये पैसा आपका हक है. ITR फाइल करें और रिफंड क्लेम करें. बिना ITR के ये पैसा वापस पाना मुश्किल है.

3. लोन और क्रेडिट कार्ड में आसानी

बैंक या फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन लोन या क्रेडिट कार्ड देते वक्त ITR मांगते हैं. अगर आप कहते हैं कि ‘मेरी सैलरी तो टैक्स के दायरे में आती ही नहीं,’ तो बैंक आपकी बात से इंप्रेस नहीं होगा. लेकिन अगर आप जीरो टैक्स देनदारी के बावजूद नियमित रूप से ITR फाइल करते हैं, तो बैंक आपको जिम्मेदार टैक्सपेयर मानता है. इससे होम लोन, पर्सनल लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने की संभावना बढ़ जाती है. खासकर अगर आपका क्रेडिट स्कोर कम है, तो ITR आपके लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. बैंक को भरोसा होता है कि आप लोन चुका देंगे.

4. घाटे को करें कैरी फॉरवर्ड

मान लीजिए, आपकी सैलरी टैक्सेबल रेंज में नहीं है, लेकिन आपने शेयर मार्केट या म्यूचुअल फंड में निवेश किया है. साल के बीच में आपने कुछ शेयर बेचे और उसमें घाटा हो गया. अब अगले साल आपकी सैलरी बढ़ जाती है और वो टैक्स के दायरे में आ जाती है. अगर आपने पिछले साल Nil ITR फाइल किया है, तो उस घाटे को अगले साल के लिए कैरी फॉरवर्ड कर सकते हैं. इससे आपकी टैक्सेबल इनकम कम हो सकती है और टैक्स का बोझ घट सकता है. लेकिन अगर आपने ITR फाइल नहीं किया, तो ये मौका आपके हाथ से निकल जाएगा.

5. आगे बहुत काम आएगा अभी का भरा ITR

ITR फाइल करना सिर्फ टैक्स बचाने का तरीका नहीं, बल्कि भविष्य की कई जरूरतों को पूरा करने का रास्ता है. पासपोर्ट या वीजा अप्लाई करना हो, लोन लेना हो, या फिर कोई बड़ा फाइनेंशियल डिसीजन लेना हो, ITR हमेशा आपके काम आता है. ये एक ऐसा दस्तावेज है, जो आपकी फाइनेंशियल जिम्मेदारी को दर्शाता है. अगर आप नियमित रूप से ITR फाइल करते हैं, तो भविष्य में कई दरवाजे आपके लिए खुल सकते हैं.

ITR फाइल करने की आखिरी तारीख

Nil ITR फाइल करने की डेडलाइन वही है, जो रेगुलर ITR की होती है. आमतौर पर ये 31 जुलाई होती है, लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए इसे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया गया है. अगर डेडलाइन निकल भी जाए, तो घबराने की जरूरत नहीं. Nil ITR के लिए लेट फीस नहीं लगती. यानी आप जब चाहें, तब इसे फाइल कर सकते हैं.

कैसे फाइल करें Nil ITR?

Nil ITR फाइल करना कोई रॉकेट साइंस नहीं. ये रेगुलर ITR जैसा ही है. आइए, स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस समझते हैं:

लॉगिन करें: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ऑफिशियल वेबसाइट पर जाएं. पैन कार्ड के जरिए रजिस्टर या लॉगिन करें.

E-Filing टैब: लॉगिन के बाद E-Filing टैब पर क्लिक करें.ITR ऑप्शन: कई ऑप्शंस में से ‘Income Tax Return’ चुनें.सही फॉर्म: अगर आपकी सैलरी टैक्सेबल लिमिट से कम है, तो ITR-1 (सहज) फॉर्म चुनें.

TDS डिटेल्स भरें:

पर्सनल डिटेल्स, इनकम डिटेल्स, टैक्स डिडक्शन की जानकारी भरें. अगर कहीं TDS कटा है या एडवांस टैक्स भरा है, तो उसकी डिटेल भी दें.
वैलिडेट करें: सारी जानकारी भरने के बाद फॉर्म को वैलिडेट करें. XML फाइल जेनरेट करके डाउनलोड करें.

E-File अपलोड करें:

E-File सेक्शन में जाकर ‘Upload Return’ पर क्लिक करें और XML फाइल अपलोड करें.

ITR वेरिफिकेशन:

ITR फाइल करने के बाद इसे वेरिफाई करना जरूरी है. ये काम ऑनलाइन या ऑफलाइन (पोस्ट के जरिए) हो सकता है. वेरिफिकेशन के बाद ही आपका रिटर्न प्रोसेस पूरा होगा.

क्यों जरूरी है ITR?

टैक्स के दायरे में नहीं आती, ITR फाइल करना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आपकी फाइनेंशियल जर्नी को आसान बनाने का तरीका है. ये आपके जिम्मेदार नागरिक होने का सबूत है. चाहे लोन लेना हो, वीजा अप्लाई करना हो, या रिफंड क्लेम करना हो, ITR हर कदम पर आपके साथ है. तो देर किस बात की? अगर आपकी सैलरी टैक्स के दायरे में नहीं आती, तब भी Nil ITR फाइल करें और इन फायदों का लाभ उठाएं.

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