मध्य प्रदेश में नगर निगम अध्यक्षों को हटाना अब नहीं होगा आसान: नए नियम का ऐलान
मध्य प्रदेश में नगर निगम अध्यक्षों को हटाना अब नहीं होगा आसान: नए नियम का ऐलान
मध्य प्रदेश में नगर निगम अध्यक्षों को हटाना अब नहीं होगा आसान: नए नियम का ऐलान हुआ है। मध्य प्रदेश में नगर निगम के अध्यक्षों को कार्यकाल पूरा होने से पहले हटाना अब आसान नहीं होगा। पहले तो तीन वर्ष की अवधि पूरी होने से पहले अविश्वास प्रस्ताव लाया ही नहीं जा सकेगा।
प्रस्ताव तभी मान्य होगा, जब उस पर तीन चौथाई पार्षदों के हस्ताक्षर होंगे। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार एक बार फिर अध्यादेश का सहारा लेने की तैयारी में है। इसके माध्यम से नगर पालिका निगम अधिनियम 1956 की धारा 23 में संशोधन किया जाएगा।
पार्षदों के माध्यम से होता है चुनाव
नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नगर निगम के अध्यक्षों का चुनाव भी नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्षों की तरह पार्षदों के माध्यम से चुनाव होता है। नगर पालिका और परिषद के अध्यक्षों को पद से हटाने के लिए निर्धारित अवधि बढ़ाने के साथ पार्षदों के समर्थन की संख्या भी बढ़ा दी गई है।
नगर पालिका अधिनियम में संशोधन
कई माध्यमों से नगर निगम अध्यक्षों के विरुद्ध आने वाले अविश्वास प्रस्ताव की अवधि में वृद्धि की मांग आई है। इसे लेकर विभाग ने नगर पालिका अधिनियम में संशोधन का प्रारूप तैयार किया है। इसमें तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने से पहले अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत ही नहीं किया जा सकेगा।
इस तरह की मान्य होगा प्रस्ताव
प्रस्ताव भी तभी मान्य होगा, जब उस पर तीन चौथाई पार्षदों के हस्ताक्षर नहीं होंगे। अभी दो वर्ष की कार्यावधि पूर्ण होने और दो तिहाई पार्षदों के समर्थन से प्रस्ताव प्रस्तुत किया जा सकता है। विभाग द्वारा तैयार प्रारूप को अब वरिष्ठ सचिव समिति की स्वीकृति के बाद कैबिनेट में अंतिम निर्णय के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।