क्या सच में संभल में सिर्फ 15% हिंदू बचे हैं? रिपोर्ट्स पर छिड़ी बहस
क्या सच में संभल में सिर्फ 15% हिंदू बचे हैं? रिपोर्ट्स पर छिड़ी बहस

क्या सच में संभल में सिर्फ 15% हिंदू बचे हैं? रिपोर्ट्स पर छिड़ी बहस। तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है. आयोग का गठन संभल हिंसा के बाद हुआ था. 24 नवंबर, 2024 को क्षेत्र में हिंसा भड़की थी. मस्जिद में सर्वे के दौरान इलाके में तनाव पैदा हो गया था.
उत्तर प्रदेश के संभल की डेमोग्राफी को लेकर एक चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है. इसके मुताबिक, संभल में केवल 15 प्रतिशत हिंदू बचे हैं. बाकी सब पलायन कर गए. आजादी के बाद संभल नगर पालिका में 45% हिंदू थे. इसके बाद से यहां की डेमोग्राफी बदलती गई. तीन सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में ये बात सामने आई है.
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संभल हिंसा के बाद न्यायिक आयोग का गठन किया गया था. 24 नवंबर, 2024 को क्षेत्र में हिंसा भड़की थी. संभल में मस्जिद में सर्वे करने के दौरान हिंसा हुई थी. न्यायिक आयोग में इलाहाबाद हाई कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा और रिटायर्ड IAS अमित मोहन, रिटायर्ड IPS अरविंद कुमार जैन थे. आज न्यायिक आयोग की टीम ने सीएम योगी से मुलाकात कर गोपनीय जांच रिपोर्ट सौंपी दी है.
रिपोर्ट में क्या-क्या?
दंगों में विदेशी हथियार मिले थे. रिपोर्ट में मेड इन USA हथियार मिलने की बात है. सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट में लव जिहाद, दंगे और सामाजिक गतिविधियों से धर्मांतरण का भी जिक्र है.
सूत्रों के मुताबिक, पठान तुर्क में आपसी संघर्ष में संभल हमेशा से जलता रहा. 1947 से हर दंगे में सिर्फ हिंदू मारे जा रहे थे. इस बार भी हिंदुओं को मारने की प्लानिंग थी. दंगा करने के लिए भीड़ को बाहर से बुलाया गया था. हिंदू मोहल्ले में पुलिस की मौजूदगी के कारण हिंदू बच गए थे. तुर्क पठानों ने पुरानी रंजिश में दंगों के दौरान एक दूसरे को मारा.
22 नवंबर को नमाजियों को संबोधित करते सांसद ज़िया-उर-रहमान बर्क ने कहा था, हम पुलिस प्रशासन सरकार से दबने वाले थोड़ी हैं. अरे हम इस देश के मालिक हैं. नौकर, गुलाम नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मैं खुले रूप से कह रहा हूं कि, मस्जिद थी, मस्जिद है, इंशा-अल्ला मस्जिद रहेगी कयामत तक. जिस तरह अयोध्या में हमारी मस्जिद ले ली गई, वैसा यहां नहीं होने देंगे.
इससे पहले हिंसा को लेकर एक और रिपोर्ट आई थी. 114 पेज की रिपोर्ट एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) द्वारा कारवां-ए-मोहब्बत के सहयोग से जारी की गई थी. शोधकर्ता प्रकृति, एडवोकेट अहमद इब्राहिम और कार्यकर्ता हर्ष मंदर द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में दो प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें सर्वेक्षण की प्रक्रिया और उसके बाद क्या हुआ इसके बारे में था.
हिंसा में कितने लोग मारे गए थे
इस हिंसा में कम से कम 5 लोग मारे गए थे. मस्जिद के सर्वेक्षण का आदेश एक स्थानीय अदालत ने 19 नवंबर को दिया था, जब एक याचिका में दावा किया गया था कि 1526 में मस्जिद बनाने के लिए एक मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था. यह आदेश चंदौसी के सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग) आदित्य सिंह की अदालत ने पारित किया था. पहला सर्वेक्षण 19 नवंबर को हुआ था. 24 नवंबर को दूसरे सर्वेक्षण के दौरान हिंसा भड़क उठी थी.