Indian Economy: यह महिलाएं सुधार सकती हैं देश की GDP, रिपोर्ट में हुआ खुलासा। भारत में महिलाओं की बाहर के कामों में भागीदारी दुनिया के औसत से काफी कम है. इसमें कोई शक नहीं कि चूल्हा-चौका करती महिलाओं, घर में बच्चों और बुजुर्गों को संभालती महिलाओं के काम को अगर पैसों से तौला जाए तो महिलाओं का पलड़ा पुरुषों से भारी हो जाएगा. फिलहाल अर्थव्यवस्था रुपए की कसौटी पर टिकी है और उन आंकड़ों के मुताबिक भारत में 37% महिलाएं ही कामकाजी वर्ग में आती हैं. जबकि दुनिया का औसत 47% है.
महिलाओं को सेफ ट्रांसपोर्ट की जरूरत
भारत के 5 शहरों में किए गए एक सर्वे में महिलाओं ने माना कि अगर उन्हें आने-जाने के लिए सुरक्षित ट्रांसपोर्ट मिले तो वो काम करने के लिए बाहर जा सकती हैं. ये सर्वे एक प्राइवेट कैब सर्विस कंपनी ने ऑक्सफोर्ड ECONOMICS संस्था के साथ मिलकर किया है
. सर्वे में दिल्ली, मुंबई, बैंगलुरु, चैन्नई और कोलकाता की महिलाएं शामिल थीं. सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं कामकाजी थी और उनकी उम्र 25 से 39 साल के बीच की है. इस सर्वे में शामिल 74% महिलाओं के लिए सेफ ट्रांसपोर्ट सबसे अहम है और 64% के लिए ट्रांसपोर्ट की कीमत. 10 में से 7 महिलाओं के मुताबिक घर संभालना केवल उनकी जिम्मेदारी है इसलिए वो काम नहीं कर सकतीं. 10 में से 7 महिलाओं के मुताबिक घर के पुरुष काम करने के लिए बाहर जाते हैं इसलिए वो बाहर नहीं जा सकतीं.
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यौन शोषण..
इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के सर्वे में भी ये सामने आया है कि भारत में महिलाओं के काम करने के रास्ते में दो बड़ी चुनौतियां हैं. पहली, सेफ ट्रांसपोर्ट और दूसरी घर और बाहर की जिम्मेदारियों के बीच तालमेल बिठाने की परेशानी. 2021 में आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन ने देश के 140 शहरों में किए एक सर्वे में पाया था कि 56% महिलाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट में यौन शोषण का शिकार हो चुकी हैं. UBER INDIA के प्रेसीडेंट प्रभजीत सिंह के मुताबिक हर तीन में से एक महिला ने माना कि सेफ ट्रांसपोर्ट काम करने की सबसे बड़ी ज़रुरत है. पुरुषों के लिए सस्ती ट्रांसपोर्ट जबकि महिलाओं की प्राथमिकता सुरक्षित ट्रांसपोर्ट है. और यही वजह है कि वो दिन में ही काम करके घर लौटना चाहती हैं.