धर्मLatest

Holashtak आज से होलाष्टक शुरू, होलिका दहन तक बंद रहेंगे 16 संस्कार*

Holashtak आज से होलाष्टक शुरू, होलिका दहन तक बंद रहेंगे 16 संस्कार*

Holashtak 17 मार्च यानी आज से होलाष्टक की शुरुआत हो गई है। होली के पहले के 8 दिनों को होलाष्टक कहा जाता है. 17 मार्च शुरू होलाष्टक फाल्गुन पूर्णिमा यानी 24 मार्च पर समाप्त होगा. इस दिन होलिका दहन होगा और इसके अगले दिन यानी 25 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी।

कटनी। इस साल होलिका दहन 24 मार्च को होगा. इसके अगले दिन 25 मार्च को रंग वाली होली खेली जाएगी. होलिका दहन से 8 दिन पहले यानी आज से होलाष्टक की शुरुआत हो गई है. शास्त्रों में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा गया है. होलाष्टक लगते ही शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं. आइए जानते हैं कि होलाष्टक से होलिका दहन तक कौन से प्रमुख संस्कार बंद रहेंगे.

क्यों लगता है होलाष्टक?

पौराणिक मान्यता के अनुसार, होली से आठ दिन पहले यानी अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक विष्णु भक्त प्रह्लाद को काफी यातनाएं दी गई थीं. हिरण्यकश्यप ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को ही भक्त प्रह्लाद को बंदी बनाया था. इस दौरान प्रह्लाद को जान से मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गई थीं. यातनाओं से भरे उन आठ दिनों को ही अशुभ मानने की परंपरा बन गई. आठ दिन बाद भक्त प्रह्लाद को जलाने के लिए होलिका उसे अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठ गई थीं. लेकिन देवकृपा से वह स्वयं जल गई और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ. तभी से भक्त पर आए इस संकट के कारण इन आठ दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है।

होलाष्टक में इन 16 संस्कार पर रोक

होलाष्टक के विषय में कई धार्मिक मान्यताएं हैं. कहते हैं कि होलाष्टक में ही शिवजी ने कामदेव को भस्म किया था. इस अवधि में हर दिन अलग-अलग ग्रह उग्र रूप में होते हैं. इसलिए होलाष्टक में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले कार्य कर सकते हैं.
गर्भाधान- किसी स्त्री का गर्भ धारण करना.

  • पुंसवन- गर्भ धारण करने के तीन महीने के बाद किया जाने वाला संस्कार
  • सीमंतोन्नयन- गर्भ के चौथे, छठे व आठवें महीने में होने वाला संस्कार.
  • जातकर्म- बच्चे के स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए शहद और घी चटाना और वैदिक मंत्रों का उच्चारण करना.
  • नामकरण- बच्चे का नाम रखना.
  • निष्क्रमण- यह संस्कार बच्चे के जन्म के चौथे महीने में किया जाता है.
  • अन्नप्राशन- बच्चे के दांत निकलने के समय किया जाने वाला संस्कार
  • चूड़ाकर्म- मुंडन
  • विद्यारंभ- शिक्षा की शुरुआत
  • कर्णवेध- कान को छेदना.
  • यज्ञोपवीत- गुरु के पास ले जाना या जनेऊ संस्कार.
  • वेदारंभ- वेदों का ज्ञान देना.
  • केशांत- विद्यारम्भ से पहले बाल मुंडन.
  • समावर्तन- शिक्षा प्राप्ति के बाद व्यक्ति का समाज में लौटना समावर्तन है.
  • विवाह- शादी के बंधन में – अग्नि परिग्रह संस्कार।

Back to top button