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Gyanvapi Mosque बड़ी खबर, ASI रिपोर्ट में अयोध्या की तरह काशी के ज्ञानवापी में भी मिला मंदिर का ढांचा

ज्ञानवापी पर बड़ा अपडेट, दोनो पक्षों को सौंपी गई ASI रिपोर्ट, जानिए क्या है इस सर्वे में

Gyanvapi Mosque वाराणसी से आज की बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट हिन्दू और मुस्लिम पक्ष को सौंप दी गई है। यह सर्वे कोर्ट के आदेश पर आर्किलाजीकल सर्वे विभाग एएसआई ने किया था। रिपोर्ट सीधे कोर्ट में सबमिट हुई फिर दोनों पक्षों ने इस रिपोर्ट को पढ़ने के लिए उपलब्ध कराने की मांग की जिसके बाद आज एएसआई की यह महत्वपूर्ण रिपोर्ट दोनो पक्षों को सौंपी गई। इस सर्वे में कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। आपको बता दें कि ज्ञानवापी में हिन्दू पक्ष शिव मंदिर होने का दावा करता है। हिन्दू पक्ष ने रिपोर्ट उनके पक्ष में होने का दावा किया है।

अयोध्या की तरह काशी के ज्ञानवापी में भी मिला मंदिर का ढांचा,

ज्ञानवापी प्रकरण में ASI ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने एएसआई की रिपोर्ट पढ़ते हुए कहा है कि एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यह कहा जा सकता है कि यहां जो अभी मस्जिद है। इससे पहले यहां एक काफी बड़ा मंदिर रहा होगा। यह भी कहा गया है कि सर्वे के दौरान देवी-देवताओं की मूर्तियों के निशान भी मिले हैं।

Gyanvapi Survey

पुरातत्व विभाग की टीम ने करीब 136 दिनों तक अध्ययन कर 1600 पेज की ये रिपोर्ट तैयार की है. ये रिपोर्ट गुरुवार को कोर्ट में खोली गई. कोर्ट ने सभी पक्षों को रिपोर्ट की कॉपी देने को कहा था.  हैदराबाद के साथ अमेरिका के वैज्ञानिकों ने जीपीआर तकनीक के जरिये 10 मीटर तक गहराई तक अध्ययन किया था.

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर से सटे ज्ञानवापी परिसर की भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की सर्वे रिपोर्ट बुधवार को जिला जज डॉ अजय कृष्ण विश्ववेश की अदालत ने सार्वजनिक कर दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, ज्ञानवापी में मंदिर का स्ट्रक्चर मिला है। इस पर हिंदू पक्ष ने खुशी जताई है। उनका कहना है कि बाबा मिल गए हैं। सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया। अब हिंदुओं को पूजा-पाठ की अनुमति मिलनी चाहिए। दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने का एलान किया है।

अदालत ने सर्वे रिपोर्ट की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने से साफ इन्कार कर दिया। यह मांग अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की तरफ से की गई थी। दूसरी तरफ मसाजिद कमेटी की सर्वे रिपोर्ट ई-मेल पर उपलब्ध कराने की मांग भी खारिज कर दी गई। दरअसल, जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 23 जुलाई 2023 को ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का आदेश दिया था। इसी आधार पर एएसआई की टीम ने सील वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर के सर्वे किया, फिर सीलबंद रिपोर्ट अदालत में दाखिल कर दिया।

ज्ञानवापी से संबंधित मां शृंगार गौरी मूल वाद की सुनवाई 14 जुलाई को पूरी कर ली थी। इसके बाद पत्रावली को आदेश के लिए सुरक्षित रख लिया था। जिला जज की अदालत ने 23 जुलाई को आदेश सुनाया। हिंदू और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी में अदालत ने रडार तकनीक एएसआई से सर्वे कराने का आवेदन मंजूर किया था। साथ ही, एएसआई के निदेशक को सर्वे कराने के लिए आदेशित किया था। अदालत ने कहा कि किसी तरह की क्षति पहुंचाए बगैर वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए।

मंदिर तोड़ कर बनाई गई मस्जिद

ज्ञानवापी मामले में अदालत ने एएसआई के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट गया। जिसके बाद दोबारा चार अगस्त 2023 से सर्वे शुरू हुआ, जो दो नवंबर तक पूरा हो सका। 18 दिसंबर  2023 को सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी। इसके बाद से ही हिंदू पक्ष रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहा था। हिंदू पक्ष का कहना था कि सर्वे में हिंदू पक्ष की दलीलों को माना गया है। आज इस सर्वे रिपोर्ट के कुछ अंश सामने आए हैं जिन्होंने एक बार अयोध्या फैसले की याद दिला दी है। सर्वे में इस बात का दावा किया गया है कि मस्जिद के पहले यहां मंदिर था और उसकी संरचना के सबूत प्राप्त हुए हैं।

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