साबुन से लेकर शैंपू तक महंगा: बाथरूम में महंगाई की मार, अब सोप लिक्विड तक पहुंचा असर
साबुन से लेकर शैंपू तक महंगा: बाथरूम में महंगाई की मार, अब सोप लिक्विड तक पहुंचा असर
साबुन से लेकर शैंपू तक महंगा: बाथरूम में महंगाई की मार, अब सोप लिक्विड तक पहुंचा असर। किचन यानी खाने का तेल, आटा, दाल, सब्जियों और फ्रूट के बाद महंगाई का रुख बाथरूम की ओर चला गया है. ये कोई मजाक की बात नहीं है. मौजूदा तिमाही में नहाने के साबून की कीमतों में 8 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. वास्तव में जिस पाम ऑयल से साबुन तैयार किया जाता है।
उसकी कीमतों में इजाफा देखने को मिला है. जिसकी वजह से साबुन की मेकिंग कॉस्ट में बढ़ोतरी देखने को मिली है. जिसकी वजह से देश की एफएमसीजी कंपनियों की ओर नहाने के साबुन की कीमत में इजाफा देखने को मिला है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर किस तरह की रिपोर्ट सामने आई है।
नहाने के साबुन की कीमतों में इजाफा
डेली यूज का सामान बनाने वाली एचयूएल और विप्रो जैसी प्रमुख कंपनियों ने पाम ऑयल की कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को कम करने के लिए साबुन की कीमतों में लगभग सात-आठ फीसदी की वृद्धि की है. पाम ऑयल, साबुन प्रोडक्ट का एक प्रमुख कच्चा माल है. एचयूएल और टाटा कंज्यूमर जैसी कंपनियों ने हाल ही में चाय की कीमतों में भी वृद्धि की है, क्योंकि अनियमित मौसम के कारण उत्पादन में गिरावट आई है. सितंबर तिमाही के परिणामों के दौरान, कई सूचीबद्ध कंपनियों ने अपने मार्जिन को सुरक्षित रखने के लिए चालू तिमाही में साबुन की कीमतों में वृद्धि का संकेत दिया. ये कंपनियां पामतेल, कॉफी और कोको जैसे जिंस आदानों की लागत में वृद्धि का सामना कर रही थीं।
क्यों हुआ इजाफा
विप्रो कंज्यूमर केयर के सीईओ नीरज खत्री ने कहा साबुन बनाने में प्रमुख कच्चे माल की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. इसमें इस साल की शुरुआत से 30 से अधिक इजाफा हुआ है. उन्होंने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, सभी प्रमुख कारोबारियों ने वृद्धि को आंशिक रूप से संतुलित करने के लिए लगभग सात-आठ प्रतिशत की मूल्य वृद्धि की है. हमारे मूल्य निर्धारण समायोजन इन बाजार रुझानों के अनुरूप हैं. अजीम प्रेमजी के नेतृत्व वाली विप्रो एंटरप्राइजेज की इकाई विप्रो के पास संतूर जैसे ब्रांड हैं.
देश की सबसे बड़ी एफएमसीजी कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एचयूएल) ने चाय और त्वचा की सफाई करने वाले उत्पादों की कीमतों में भी वृद्धि की है. इनमें डव, लक्स, लाइफबॉय, लिरिल, पीयर्स, रेक्सोना आदि ब्रांड के तहत इसका साबुन कारोबार शामिल है. इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने के साथ-साथ ग्लोबल प्राइस में वृद्धि के कारण सितंबर के मिड से पाम ऑयल की कीमतों में लगभग 35-40 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है।
कहां से इंपोर्ट होता है पाम ऑयल
पाम ऑयल मुख्य रूप से इंडोनेशिया और मलेशिया से इंपोर्ट जाता है. वर्तमान में पाम ऑयल की कीमत लगभग 1,370 रुपए प्रति 10 किलोग्राम है. एक वितरक के अनुसार, इसके अलावा, एचयूएल के अन्य व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों की कीमतें भी बढ़ गई हैं. नुवामा इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज के कार्यकारी निदेशक (शोध) अबनीश रॉय के अनुसार, एचयूएल के बाद, अब अधिकांश कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी करेंगी।
साबुन से लेकर शैंपू तक महंगा: बाथरूम में महंगाई की मार, अब सोप लिक्विड तक पहुंचा असर