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आईएमएफ से खाड़ी देशों तक… किस-किस पर टिका है पाकिस्तान का गुज़ारा?

आईएमएफ से खाड़ी देशों तक… किस-किस पर टिका है पाकिस्तान का गुज़ारा?

आईएमएफ से खाड़ी देशों तक… किस-किस पर टिका है पाकिस्तान का गुज़ारा?। पाकिस्तान अपनी सैन्य शक्ति को विभिन्न देशों से मिलने वाली आर्थिक सहायता से बढ़ाता है. सऊदी अरब, चीन, अमेरिका और तुर्की जैसे देशों के साथ पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सैन्य समझौते हैं. जिनसे उसे आर्थिक और सैन्य लाभ मिलते हैं.

आईएमएफ से खाड़ी देशों तक… किस-किस पर टिका है पाकिस्तान का गुज़ारा?
पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए हालिया सुरक्षा समझौता सुर्खियों में बना हुआ है. NATO जैसे इस समझौते के बाद कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सऊदी के पैसे से अपनी सेना को और मजबूत बनाएगा. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब पाकिस्तान ने ऐसा किया हो. पाकिस्तान के कई देशों के साथ सैन्य संबंध हैं और पाकिस्तान इन देशों से सैन्य करार के नाम पर खूब पैसे ऐंठता हैं

भले ही हालिया सऊदी समझौते की तरह नहीं, लेकिन पाकिस्तान ने अमेरिका, UAE, चीन, ओमान, अजरबैजान, मलेशिया, इंडोनेशिया और तुर्की के साथ कई सैन्य समझौते कर रखे हैं. जिसके जरिए पाकिस्तान विश्व स्तर पर अपनी पकड़ बनाता है और सैन्य सुरक्षा देने के नाम पर इन देशों से आर्थिक सहायता भी लेता है

इसके अलावा वह संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपर फोर्स के बहाने सूडान, कांगो, लिबेरिया और बुरुंडी आदि में भी अपनी सेना भेज चुका है और UN से भी फायदा ले चुका है. पाकिस्तान सेना दुनिया की छठी सबसे बढ़ी एक्टिव सेना है, पाकिस्तान का विदेशों में सैन्य उपस्थिति का एक व्यापक इतिहास रहा है, खासकर मध्य पूर्व में. जहां इसने कई देशों में सैन्य टुकड़ियां, मिशन और बटालियनें बनाए रखी हैं. आइये पाकिस्तान द्वारा दूसरे देशों से किए गए कुछ बड़े समझौतों पर नजर डालते हैं.

पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच सुरक्षा समझौता

पाकिस्तान और सऊदी अरब ने 17 सितंबर को एक महत्वपूर्ण सैन्य समझौता स्ट्रैटेजिक म्यूचुअल डिफेंस एग्रीमेंट (SMDA) साइन किया, इस समझौते को म्यूचुअल डिफेंस पैक्ट कहा जा रहा है. इसके तहत किसी भी एक देश पर हमला दोनों देशों पर हमला माना जाएगा और दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे को बचाने का काम करेंगी. Saudi Pakistan

इस समझौते ने दशकों पुराने सुरक्षा सहयोग को एक औपचारिक रूप दिया है. जानकारों का मानना है कि इससे सऊदी अरब का पैसा पाकिस्तान अपनी सेना को मजबूत करने में लगा सकता है.

चीन और पाकिस्तान के बीच सुरक्षा करार

चीन और पाकिस्तान के बीच सैन्य संबंध सदाबहार दोस्ती (All-Weather Friendship) के नाम से भी जाने जाते हैं, जो 1950 से चले आ रहे हैं. ये संबंध मुख्य रूप से भारत और अमेरिकी प्रभाव का मुकाबला करने के लिए हैं।

दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक सैन्य गठबंधन नहीं है, लेकिन कई द्विपक्षीय समझौते, हथियार सौदे, जाइंट ड्रिल और तकनीकी सहयोग हैं. पाकिस्तान सबसे ज्यादा हथियार चीन से लेता है. साल 2019-2023 में 82 फीसद हथियार पाक सेना ने चीन से आयात किए थे. चीन ने अपने CPEC के चलते पाकिस्तान के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाया है और उसे सस्ते दामों पर हथियार दिए हैं।

CPEC समझौते के बाद से चीन से पाक सेना को JF-17 और J-35 फाइटर जेट से आधुनिक विमान मिले हैं. साथ अरब सागर तैनात के लिए नौसेना फ्रिगेट की डिलीवरी भी की गई है. इसके अलावा दोनों देशों की सेना शाहीन (वायु), सी गार्जन (नौसेना), वॉरियर सीरीज (थल) जैसे अभियान करती रहती हैं।

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच सैन्य समझौते

अमेरिका ने 9/11 के बाद से पाकिस्तान के साथ कई सैन्य करार किए हैं. अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव और सेंट्रल एशिया में अपनी पकड़ मजबूत रखने के लिए पाकिस्तान को जरूरी मानता है. अमेरिका पाकिस्तान को सालाना लगभग 500 डॉलर मिलियन की सैन्य सहायता देता है. Donald Trump Asim Munir

अमेरिका ने पाकिस्तान के साथ काउंटर-टेररिज्म डायलॉग, सैन्य एक्सचेंज प्रोग्राम आदि जैसे समझौते कर रखे हैं. अमेरिका ने पाक सेना को F-16, AH-1Z हेलीकॉप्टर, हार्पून मिसाइलें आदि दी है.

तुर्की और पाकिस्तान के बीच सैन्य सहयोग

तुर्की और पाकिस्तान के बीच गहरे संबंध हैं. 1950 के दशक से ही दोनों देशों के बीच क्षेत्रीय सुरक्षा, सैन्य व्यापार और संयुक्त अभ्यासों पर आधारित है. तुर्की पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है और दोनों देश ‘तीन भाई’ (Three Brothers) गठजोड़ के तहत अजरबैजान के साथ सहयोग करते हैं। आईएमएफ से खाड़ी देशों तक… किस-किस पर टिका है पाकिस्तान का गुज़ारा?

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