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पहली बार खजुराहो लोकसभा चुनाव में “पंजा”, “सायकिल” निशान नहीं, 14 प्रत्याशी मैदान में, देखें कौन देगा कमल को टक्कर

पहली बार खजुराहो लोकसभा चुनाव में "पंजा", "सायकिल' निशान नहीं, 14 प्रत्याशी मैदान में, देखें कौन देगा कमल को टक्कर

कटनी/पन्ना। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा निर्वाचन 2024 में संसदीय निर्वाचन क्षेत्र खजुराहो के लिये घोषित किये गये कार्यक्रमानुसार चुनाव मैदान में शेष रहे अभ्यर्थियों को रिटर्निंग ऑफिसर लोकसभा क्षेत्र खजुराहो एवं कलेक्टर पन्ना सुरेश कुमार ने चुनाव चिन्ह आवंटित किये।

लोकसभा बनने के बाद से पहली बार ऐसा होगा जब पंजा और साइकिल चुनाव चिन्ह ईवीएम में नहीं 

खास बात यह है कि खजुराहो लोकसभा बनने के बाद से पहली बार ऐसा होगा जब पंजा और साइकिल चुनाव चिन्ह ईवीएम में नहीं होगा। कारण भी सभी को ज्ञात है सपा कांग्रेस गठबंधन में सपा के लिए कांग्रेस ने यह सीट छोड़ी थी और सपा प्रत्याशी का नामांकन रद्द हो गया लिहाजा यह दोनों ही निशान इस बार के चुनाव में नहीं होंगे हालांकि मुकाबले में बसपा के साथ 14 प्रत्याशी मैदान में हैं पर कांग्रेस औऱ सपा अर्थात इंडिया गठबंधन चुनाव में नहीं होंगे। राष्ट्रीय दल में बसपा का हाथी चुनाव चिन्ह्र कमल निशान के साथ मौजूद होगा। बाकी कौन कौन से निशान चुनाव में बने हैं और वह कमल को टक्कर देंगे वह इस प्रकार हैं…

इनमें बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी कमलेश कुमार को हाथी, भारतीय जनता पार्टी के विष्णुदत्त शर्मा को कमल, राष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी के मोहम्मद इमरान को फूलगोभी, अखिल भारतीय परिवार पार्टी के कपिल गुप्ता भारतीय को केतली, राष्ट्रीय जनसंचार दल की केशकली को बैटरी टार्च, भारतीय शक्ति चेतना पार्टी के गिरन सिंह को बॉसुरी, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक) के नंदकिशोर को फलों से युक्त टोकरी, इंडियन पीपुल्स अधिकार पार्टी के पन्ना लाल त्रिपाठी एड. को गुब्बारा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पंकज मौर्य (कुशवाहा) को आरी, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक के आर.बी. प्रजापति (राजा भइया) पूर्व आईएएस को शेर प्रतीक चिन्ह आवंटित किया गया है। इसी तरह निर्दलीय अभ्यर्थियों में फिरोज खान को बल्लेबाज, बिटइया अहिरवार को अलमारी, लक्ष्मी प्रसाद को चक्की और पेंटर सुनमान सिंह लोधी को कड़ाही चुनाव चिन्ह आवंटित किया गया। चुनाव दिलचस्प होने वाला है।

हार जीत का निर्णय ग्रामीण वोटर

छतरपुर पन्ना और टीकमगढ़ से जुड़ाव रखने वाली खजुराहो लोकसभा सीट पर चुनावी हार जीत का फैसला ग्रामीण वोटर तय करते हैं। क्योंकि खजुराहो की जनसंख्या करीब 25 लाख 87 हजार 685 है, जिसमें से 81 प्रतिशत आबादी गांवों में और 18 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में निवास करती है। लोकसभा क्षेत्र के 18 लाख से ज्यादा वोटर फिर अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनने की तैयारी में है।

पांच बार कांग्रेस का उम्मीदवार चुना, फिर भी छोड़ा मैदान

खजुराहो लोकसभा के शुरुआती दौर 1957 की बात करें तो कांग्रेस के राम सहाय पहलीबार सांसद चुने गए। उनके बाद से 1962 में फिर कांग्रेसी उम्मीदवार जीता। उस दौर में विद्यावती कांग्रेस की एक मजबूत चेहरा बनकर उभरीं जिन्होंने 1980 और 1984 में कांग्रेस का परचम जीत के साथ लहराया। उनके बाद 1999 में सत्यव्रत चतुर्वेदी ने कांग्रेस को जीत दर्ज कराई थी। 2004 के बाद कांग्रेस कमजोर होती चली गई और अब उसने मैदान तक छोड़ दिया है। करीब बीस साल से भाजपा का कब्जा खजुराहो लोकसभा सीट पर चला आ रहा है।

मध्य प्रदेश की खजुराहो लोकसभा सीट उमाभारती, कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी, वीडी शर्मा जैसे दिग्गज नेताओं से ताल्लुक रखती है। इस लोकसभा सीट पर कांग्रेस का भी अपना दबदबा रहा है। लेकिन इस बार 67 साल के इतिहास में पहली बार कांग्रेस लोकसभा चुनावी मैदान से दूर हुई है

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