महंगी शराब ने शहर में फिर बढ़ाया नशीली दवाओं का कारोबार, नाइट्रावेट, रेसकफ सीरप और नींद की गोली की बिक्री बढ़ी

कटनी(YASHBHARAT.COM)। मस्ती एवं उन्माद की चाह में युवा वर्ग गुमराह हो रहा है। ऐसे रास्ते पर चल निकला है जिसका अगला पड़ाव सिर्फ अंधकार है। जिले में महंगी शराब के कारण एक बार फिर ड्रग्स का कारोबार तेजी से पांव पसार रहा है। अवैध तस्करों का नेटवर्क झुग्गियों से लेकर बंगलों तक फैल रहा है। कुल मिलाकर लोग महंगी शराब की जगह सस्ते नशे की ओर रूख कर रहे हैं। जिसके कारण शहर में एक बार फिर नशीली दवाओं का गोरखधंधा फलने फूलने लगा है। कटनी में नशीली दवाओं का कारोबार नया नहीं है लेकिन शराब की बढ़ती कीमतों के बाद से इसकी रफ्तार में पंख लग गए हैं। अब तो गांवों तक नेटवर्क काम करने लगा है। कालेजों एवं कोचिंग सेंटरों में पढ़ाई के अलावा मस्ती की तलाश भी होती है। धंधे में लगे माफिया मुनाफे के लिए युवाओं को नशीली दवाओं के अभ्यस्त बना रहे हैं।
सेहत पस्त, कारोबारी मस्त
महंगी शराब के कारण शहर में नशीली दवाओं के बाजार में 60 फीसद तक तेजी आई है। जानकारों के मुताबिक सबसे ज्यादा नाइट्रावेट व रेस कफ सीरप की बिक्री बढ़ी है। शराब की तुलना में यह सस्ती है। मात्र 60-70 रुपये में सौ एमएल की एक बोतल मिल जाती है। इसमें कोडीन की मात्रा अधिक होती है जो जानलेवा है। प्रतिदिन एक बोतल में पर्याप्त नशा हो जाता है। सबसे ज्यादा नुकसान अल्प्राजोलम टेबलेट (नींद वाली दवा) से होता है। अत्यधिक सस्ती होने के चलते लोग इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी एक गोली डेढ़ से दो रुपये में आती है। नशे के लिए लोग एक बार में 8 से 10 गोलियां तक खा लेते हैं। यह अत्यंत जानलेवा है। इसे बेचने-खरीदने पर पूरी सख्ती होनी चाहिए। महंगी शराब के बाद आश्चर्यजनक ढंग से ऐसी दवाएं भी मार्केट में दिखने-बिकने लगी हैं जो आम तौर पर इस्तेमाल में नहीं आती हैं। जैसे एक्सटेसी, हैश, एलएसडी, आइस, एफड्रइन, मारीजुआना, हशीश कैथामिन, चरस, नारफेन, लुफ्रिजेसिक, एमडीएमएस जैसी नशीली दवाओं का चलन बढ़ रहा है।
कफ सीरप के गंदे धंधे का जोर
शहर में नशे के लिए सबसे ज्यादा कफ सीरप का इस्तेमाल किया जाता है। डाक्टर की सलाह के बिना कफ सीरप बेचना गुनाह है। मगर कटनी पहले से ही इसके धंधे के लिए बदनाम रहा है। मतलब इनके कारोबारी साम्राज्य में नशीली दवाओं की बेहिसाब बिक्री का योगदान है। बिना मर्ज के कफ सीरप का इस्तेमाल नशा के लिए होता है। इसमें कोडीन रसायन मिला होता है। इसकी जितनी अधिक मात्रा होगी, नशा उतना ही ज्यादा होगा। कफ सीरप पीने से दिमाग की बत्ती तुरंत गुल हो जाती है। अत्यधिक प्रयोग से मिरगी रोग की आशंका बढ़ जाती है। मानसिक बीमारी भी हो सकती है। कम उम्र वाले जल्दी गिरफ्त में आ सकते हैं। कई कंपनियां जानते हुए भी कफ सीरप में कोडीन की मात्रा अधिक मिलाती हैं।
नशे के सौदागर ही लगे इस गोरखधंधे में
एक जानकारी में यह भी बताया जाता है कि नशीली दवाओं के कारोबार में दवा विक्रेताओं की बजाय नशे के सौदागर ही यह गोरखधंधा संचालित कर रहे हैं। इस गोरखधंधे में लगे लोग दूसरे जिलों से नशीली दवा लाकर यहां बेच रहे हैं। इस बात की भी जानकारी लगी है कि स्मैक के अवैध कारोबार में लगे लोग अब नशीली दवाओं का भी कारोबार कर रहे हैं। इस कार्य में शहर के कुछ ट्रांसपोर्टर भी शामिल हैं जो बिना बिल व बिल्टी के नशीली दवाओं के कार्टून शहर लेकर आ रहे हैं और गोरखधंधा करने वालों को डिलेवरी दे रहे हैं।