
नई दिल्ली। भारत सरकार ने डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब देश के करीब 12 लाख केंद्रीय कर्मचारियों, जिनमें प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के कर्मचारी भी शामिल हैं, का ईमेल सिस्टम Zoho Corporation के प्लेटफॉर्म पर शिफ्ट कर दिया गया है। यह कदम National Informatics Centre (NIC) द्वारा दशकों से संचालित ईमेल सर्विस को चरणबद्ध रूप से बदलने की दिशा में उठाया गया है।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस बदलाव का उद्देश्य देशी तकनीक को बढ़ावा देना और सुरक्षित डिजिटल इकोसिस्टम तैयार करना है।
डेटा सुरक्षा पर खास फोकस
इस ट्रांज़िशन से पहले NIC और CERT-In जैसी साइबर सुरक्षा एजेंसियों ने जोहो की ईमेल सर्विस और डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर की विस्तृत समीक्षा की। रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने इसे मंजूरी दी।
अधिकारियों का कहना है कि “Zoho Suite” अब सरकारी दफ्तरों में इस्तेमाल होने वाले LibreOffice और अन्य ओपन-सोर्स टूल्स की जगह लेगा। इसमें वर्ड फाइल, प्रेजेंटेशन, स्प्रेडशीट और ईमेल मैनेजमेंट जैसे सभी ऑफिस कार्यों के लिए स्वदेशी विकल्प मौजूद हैं।
शिक्षा मंत्रालय ने जारी किया आदेश
3 अक्टूबर को शिक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक आदेश जारी करते हुए अधिकारियों को Zoho Suite अपनाने का निर्देश दिया। मंत्रालय ने कहा कि यह कदम भारत को सेवा आधारित अर्थव्यवस्था से उत्पाद आधारित राष्ट्र में बदलने की दिशा में है।
आदेश में कहा गया है कि यह पहल “स्वदेशी आंदोलन का हिस्सा है, जो डिजिटल संप्रभुता और डेटा सुरक्षा को मजबूत करेगी।”
Zoho की जिम्मेदारी 7 साल के कॉन्ट्रैक्ट में
2023 में Zoho को सात साल के अनुबंध के तहत यह जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि, आधिकारिक ईमेल डोमेन nic.in और gov.in ही बने रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार, कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए भी Zoho Mail अपनाना शुरू कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की थी कि वे अपना निजी ईमेल जोहो मेल पर शिफ्ट कर चुके हैं और भविष्य में सभी आधिकारिक कार्य वहीं से करेंगे।
Zoho का भरोसा: “यूज़र्स का डेटा हमारा उत्पाद नहीं”
Zoho Corporation के संस्थापक स्रीधर वेम्बु ने 10 अक्टूबर को अपनी मैसेजिंग ऐप Arattai के संदर्भ में कह “हमारा बिज़नेस मॉडल पूरी तरह विश्वास पर आधारित है। हम यूज़र्स के डेटा का मार्केटिंग या विज्ञापन के लिए इस्तेमाल नहीं करते। हमारी सभी सेवाओं में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन लागू किया जा रहा है।
भारत की डिजिटल आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘डिजिटल इंडिया’ अभियानों को नई ऊर्जा देगा। इससे न केवल डेटा भारत में सुरक्षित रहेगा, बल्कि घरेलू सॉफ्टवेयर उद्योग को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा।







