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आपको याद है वो समय: जब प्रोटेम स्पीकर ही बन गए लोकसभा के अध्यक्ष; भृतहरि महताब कर पाएंगे करिश्मा?

आपको याद है वो समय: जब प्रोटेम स्पीकर ही बन गए लोकसभा के अध्यक्ष; भृतहरि महताब कर पाएंगे करिश्मा?

आपको याद है वो समय: जब प्रोटेम स्पीकर ही बन गए लोकसभा के अध्यक्ष; भृतहरि महताब कर पाएंगे करिश्मा?। 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष कौन होगा, यह सवाल अभी भी बना हुआ है. इसी बीच राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा के कटक से सांसद भृतहरि महताब को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त कर दिया है. महताब 7वीं बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं. प्रोटेम स्पीकर का मूल काम नए सांसदों को शपथ दिलाना और स्पीकर का चुनाव कराना है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में 3 मौके ऐसे भी आए, जब प्रोटेम स्पीकर रहे शख्स को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी मिल गई.।

लोकसभा के ये 3 अध्यक्ष थे- गणेश वासुदेव मावलंकर, हुकुम सिंह और सोमनाथ चटर्जी. ऐसे में अब यह अटकलें भी लगाई जा रही है कि क्या भृतहरि महताब भी यह करिश्मा कर पाएंगे?

किसे बनाया जाता है प्रोटेम स्पीकर?

जानकारों के मुताबिक प्रोटेम स्पीकर का चयन वरीयता के आधार पर होता है. यह वरीयता 2 आधार पर तय की जाती है।

1. अगर कोई सांसद लगातार सबसे ज्यादा बार जीत कर आए हैं, तो उन्हें प्रथम वरीयता दी जाती है.

2. दूसरी वरीयता सबसे वरिष्ठ सांसदों को दी जाती है. इनमें लोकसभा और राज्यसभा दोनों के कार्यकाल शामिल होते हैं

. प्रोटेम से स्पीकर बनने वाले पहले नेता थे मावलंकर

1952 में देश में पहला आम चुनाव कराया गया. इसमें कांग्रेस पार्टी को पूर्ण बहुमत मिली. सांसदों को शपथ दिलाने के लिए प्रोटेम स्पीकर का चुनाव किया गया. उस वक्त जीवी मावलंकर को यह जिम्मेदारी सौंपी गई.

स्पीकर चुनाव की जब बारी आई, तो कांग्रेस ने मावलंकर के नाम का ही प्रस्ताव रखा. इस तरह मावलंकर देश के पहले लोकसभा अध्यक्ष बन गए. मावलंकर उस वक्त अहमदाबाद लोकसभा सीट से सांसद थे. मावलंकर इसके बाद 1956 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे।

2. सरदार हुकुम सिंह की भी चमकी थी किस्मत

पंजाब के कद्दावर नेता सरदार हुकुम सिंह भी प्रोटेम स्पीकर से लोकसभा के अध्यक्ष बने थे. दरअसल, 1956 में जब मावलंकर का निधन हो गया तो कुछ समय के लिए प्रोटेम स्पीकर बनाकर सदन चलाने की जिम्मेदारी हुकुम सिंह को ही दी गई.

इसके बाद साल 1957 में लोकसभा के चुनाव हुए और हुकुम सिंह डिप्टी स्पीकर बनाए गए. 1962 में कांग्रेस ने सिंह का नाम लोकसभा स्पीकर के लिए प्रस्तावित किया. सिंह इस पद पर साल 1967 तक रहे.

लोकसभा अध्यक्ष पद से हटने के बाद हुकुम सिंह ने सक्रिय राजनीति छोड़ दी. राष्ट्रपति ने बाद में उन्हें राजस्थान का राज्यपाल बनाया.

3. सोमनाथ चटर्जी भी बने थे प्रोटेम से स्पीकर

2004 में सोनिया गांधी के नेतृत्व में यूपीए ने एनडीए को पटखनी दे दी. उस वक्त यूपीए में सीपीएम दूसरी सबसे बड़ी पार्टी थी. हालांकि, उसने सरकार में शामिल होने से इनकार कर दिया.

इसके बाद कांग्रेस ने सीपीएम को स्पीकर का पद ऑफर कर दिया. स्पीकर चुनाव से पहले जब प्रोटेम स्पीकर बनाने की बारी आई तो लोकसभा सचिवालय ने सोमनाथ चटर्जी के नाम का ऐलान किया.

सभी सांसदों को शपथ दिलाने के बाद कांग्रेस ने सोमनाथ चटर्जी के नाम का ही स्पीकर पद के लिए प्रस्ताव कर दिया. कांग्रेस के इस प्रस्ताव का सभी दलों ने समर्थन कर दिया, जिसके बाद चटर्जी स्पीकर चुन लिए गए.

सोमनाथ चटर्जी जब लोकसभा के स्पीकर बने, उस वक्त वे पश्चिम बंगाल के बोलपुर से सांसद थे.

भृतहरि महताब कर पाएंगे करिश्मा?

ओडिशा के कटक से सांसद महताब को 18वीं लोकसभा का प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है. महताब के जिम्मे ही स्पीकर का चुनाव और सांसदों का शपथ दिलाना है, लेकिन बड़ा सवाल है कि क्या महताब खुद मावलंकर, हुकुम सिंह और सोमनाथ चटर्जी जैसा करिश्मा कर पाएंगे?

 

उनके स्पीकर चुने जाने की संभावनाओं के पीछे 3 तथ्य भी हैं-

1. बीजेपी की सरकार में महाराष्ट्र, आंध्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश से ही लोकसभा के अध्यक्ष बनाए गए हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि विस्तार नीति के तहत पार्टी इस बार ओडिशा से किसी को अध्यक्ष बना सकती है. ओडिशा में बीजेपी को लोकसभा की 21 में से 20 सीटों पर जीत मिली है.

2. भृतहरि महताब बीजू जनता दल से आए हैं. नवीन पटनायक ने 1998 में उन्हें पार्टी की सबसे सेफ सीट कटक की जिम्मेदारी सौंपी थी. इस पर वे पिछले 7 चुनाव से जीतते आ रहे हैं. बीजेडी के वोटर्स को साधने के लिए भी महताब को स्पीकर बनाए जाने की सुगबुगाहट है.

3. संसदीय कार्य के दौरान महताब की छवि साफ-सुथरी रही है. उन्हें 2018 में बेस्ट सांसद का भी अवार्ड मिला था. राजनीतिक करियर में भी उन पर कोई बड़ा आरोप नहीं है. यह तथ्य भी उनके पक्ष में है.

 

 

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