शासकीय कन्या महाविद्यालय कटनी में छात्राओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण

शासकीय कन्या महाविद्यालय कटनी में छात्राओं को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्ष
कटनी, – आज शासकीय कन्या महाविद्यालय कटनी के कॉन्फ्रेंस हॉल में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) द्वारा एक महत्वपूर्ण प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को आपदा प्रबंधन और प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जागरूक करना था।
एनडीआरएफ के विशेषज्ञों ने छात्राओं को आपदा की परिभाषा से लेकर उसके विभिन्न प्रकारों तक की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के बीच अंतर को स्पष्ट किया और भारत सरकार द्वारा 2005 में पारित आपदा प्रबंधन अधिनियम के बारे में भी बताया।
कार्यक्रम में आपदा और खतरे के बीच अंतर पर विशेष ध्यान दिया गया। एनडीआरएफ के अधिकारियों ने छात्राओं को इन परिस्थितियों से बचने और उनका सामना करने के तरीके सिखाए। प्राथमिक चिकित्सा पर एक विशेष सत्र आयोजित किया गया, जिसमें रक्तस्राव को रोकने, हड्डी टूटने पर प्राथमिक उपचार, और सर्पदंश के मामले में जहरीले और गैर-जहरीले सांपों की पहचान जैसे महत्वपूर्ण विषयों को शामिल किया गया।
श्री मनोज कुमार शर्मा (डीआईजी) के मार्गदर्शन में एनडीआरएफ के 30 सदस्यीय दल ने अपने व्यावहारिक अनुभव साझा किए। सहायक कमांडेंट एस.ए. सिकंदर और इंस्पेक्टर शिवपूजन ने कार्यक्रम के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “यह कार्यक्रम हमारी छात्राओं को न केवल आपदाओं से निपटने के लिए तैयार करेगा, बल्कि उन्हें समाज में जागरूकता फैलाने में भी मदद करेगा।” उन्होंने एनडीआरएफ के प्रयासों की भी प्रशंसा की।
कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में छात्राएं भी उपस्थित थीं। छात्राओं ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए एनडीआरएफ के अधिकारियों से कई प्रश्न पूछे, जिनका विस्तार से समाधान किया गया।
यह कार्यक्रम आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, जो युवा पीढ़ी को आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए बेहतर ढंग से तैयार करेगा। महाविद्यालय प्रशासन ने भविष्य में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रमों को आयोजित करने की इच्छा व्यक्त की, ताकि छात्राएं न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी एक महत्वपूर्ण संसाधन बन सकें।