आज की बड़ी खबर यह है कि भोजशाला की 151 पन्नों की सर्वे की रिपोर्ट आज हाई कोर्ट इंदौर की खंडपीठ में पेश कर दी है।
इंदौर हाई कोर्ट ने 11 मार्च को भोजशाला में 500 मीटर के दायरे में वैज्ञानिक सर्वे कार्य करने का आदेश एएसआई को दिया था। यह सर्वे 22 मार्च से शुरू होकर 27 जून तक 98 दिन किया गया। सर्वे के दौरान खोदाई भी की गई। फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की गई। ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) और ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) की सहायता ली गई।
भोजशाला का सच जानने के लिए किए गए इस सर्वे की रिपोर्ट पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। रिपोर्ट के आधार पर हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होगी। अगली सुनवाई 22 जुलाई को होनी है।
रिपोर्ट में मिले अवशेषों को महत्व रहेगा एएसआई के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. आलोक त्रिपाठी के निर्देशन में हुए इस सर्वे में 1700 से ज्यादा पुरावशेष खोदाई में मिले हैं। इनमें देवी-देवताओं की 37 मूर्तियां भी शामिल हैं।
मां वाग्देवी की खंडित मूर्ति खास है, जो भोजशाला से लंदन ले जाई गई मूर्ति के समान ही बताई जा रही है। हालांकि आकार में यह छोटी है। सर्वे के तहत की गई सफाई में भित्ति चित्र दिखाई दिए हैं।
बता दें कि एएसआई को पहले चार जुलाई को सर्वे रिपोर्ट हाई कोर्ट में प्रस्तुत करनी थी, किंतु रिपोर्ट तैयार नहीं हो पाई थी। नतीजतन, एएसआई के अनुरोध पर हाई कोर्ट ने 10 दिन का अतिरिक्त समय मिला था। यह समय रविवार (14 जुलाई) को पूरा हो गया है। चूंकि रविवार को अवकाश था इसलिए अब 15 जुलाई को रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी।
वहीं, जैन समाज का प्रतिनिधित्व करने वाली एक संस्था के कार्यकर्ता ने भी हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर भोजशाला को जैन धार्मिक स्थल होने का दावा किया है। उस पर भी हाई कोर्ट में सुनवाई की जानी है।