समान नागरिक संहिता का बड़ा ऐलान: मोदी सरकार जल्द UCC लागू करेगी। भारत में समान नागरिक संहिता को लेकर काफी समय से चर्चा हो रही है। यह एक ऐसा कानून है जो सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होगा, चाहे उनका धर्म, जाति या लिंग कुछ भी हो। इस कानून का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी नागरिकों को समान अधिकार और सुविधाएं मिलें ।
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भारतीय जनता पार्टी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। विभिन्न समुदायों और धार्मिक संगठनों के बीच इस मुद्दे पर मतभेद हैं ।
सर्वोच्च न्यायालय ने भी कई बार समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में केंद्र सरकार से विचार करने को कहा है। विधि आयोग ने भी इस संबंध में अपनी सिफारिशें दी हैं¹।
इस कानून को लागू करने से पहले विभिन्न समुदायों और धार्मिक संगठनों के बीच व्यापक चर्चा और सहमति बनाने की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, इस कानून को बनाने और लागू करने में काफी समय और प्रयास लगेगा ¹।
इसलिए, समान नागरिक संहिता को लेकर अभी तक कोई ठोस जानकारी नहीं है कि यह कब लागू होगी। लेकिन यह जरूर है कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर विभिन्न समुदायों और धार्मिक संगठनों के बीच चर्चा और सहमति बनाने की आवश्यकता होगी ।
समान नागरिक संहिता (सेकुलर सिविल कोड) देश में जल्द लागू किया जाएगा. समान नागरिक संहिता के लिए पांच राज्यों ने समितियां बनाईं हैं.इन सभी 5 राज्यों की समितियों की रिपोर्ट शीघ्र आने वाली है.एक-एक कर इन सभी 5 राज्यों में समान नागरिक संहिता का कानून बनाया जायेगा.
सूत्रों का कहना है कि5 राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद आखिर में केंद्र सरकार अपनी ओर से पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए कदम उठाएगी.
इस क्रम में उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता का कानून बनाया जा चुका है.उत्तराखंड के समान नागरिक संहिता को अभी तक किसी ने कानूनी चुनौती किसी अदालत में नहीं दी है.
बता दें कि प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के भाषण के दौरान समान नागरिक संहिता का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता पर बार-बार चर्चा की है और कई बार इसे लेकर निर्देश जारी किए हैं और अब केंद्र सरकार जल्द ही समान नागरिक संहिता लागू करने को लेकर कदम उठा सकती है.
पीएम मोदी ने कहा था कि यह जरूरी है कि देश में एक धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता स्थापित की जाए, तभी यह धर्म के आधार पर भेदभाव को खत्म कर सकता है.
क्या है समान नागरिक संहिता?
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) सभी नागरिकों के लिए समान कानून प्रस्तावित करती है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, जिसमें विवाह, तलाक, विरासत, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे मामले शामिल हैं. इसका लक्ष्य इन क्षेत्रों में धार्मिक कानूनों को दरकिनार करते हुए धर्मनिरपेक्ष कानून बनाना है.
उत्तराखंड में भी विधानसभा में समान नागरिक संहिता को लेकर विधानसभा में कानून पारित हो चुका है. इसके साथ ही असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने भी ऐलान किया है कि असम में जल्द समान नागिरक संहिता लागू किया जाएगा.
बता दें कि समान नागरिक संहिता को लेकर पूरे देश में बहस चल रही है और इस बहस के बीच समान नागिरक संहिता लागू करने की केंद्र सरकार योजना बना रही है.