
17 राज्यों में 9.90 लाख आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन मिलेगा। सिकल सेल रोग की गंभीरता को देखते हुए नागरिकों को सरकार इस रोग की जांच के लिए प्रेरित कर रही है। लोग आसानी से जांच करा सकें, इसके लिए आशा कार्यकर्ताओं को भी सिकल सेल रोग के खिलाफ लड़ाई में जोड़ने पर विचार हो रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय सिकल सेल रोग की जांच के लिए प्रोत्साहन के अलग-अलग तरीकों पर विचार कर रही है।
रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार सिकल सेल रोग की जांच के लिए पात्र व्यक्तियों को जुटाने और बीमारी की रोकथाम के उपायों पर मंथन कर रही है। रोग का जल्दी पता लगाने के लिए सिकल सेल कार्ड का वितरण जरूरी है। इसलिए सरकार आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को कार्ड बांटने के मिशन से जोड़ने के लिए प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है।
क्या है सिकल सेल, किन लोगों पर अधिक खतरा
गौरतलब है कि सिकल सेल रोग वंशानुगत लाल रक्त विकारों का एक समूह है। भारत में, विशेषकर आदिवासियों के बीच इस बीमारी के खतरे को कम करने के साथ-साथ रोग के उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन शुरू किया गया है।
अगले 24 साल में सिकल सेल को खत्म करने का लक्ष्य
मिशन का लक्ष्य 2047 से पहले सिकल सेल रोग को खत्म करना है। इसमें शून्य से 40 वर्ष की आयु सीमा में सात करोड़ आबादी की जांच शामिल है। सिकल सेल रोग की रोकथाम के लिए विवाह-पूर्व और गर्भधारण-पूर्व आनुवंशिक परामर्श का सुझाव भी दिया जा रहा है। प्राथमिक और माध्यमिक दोनों स्तर के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों में इस रोग से पीड़ित लोगों की देखभाल पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
सामुदायिक स्तर पर कैसे होगी स्क्रीनिंग
आयुष्मान भारत योजना के तहत संचालित स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (एबी-एचडब्ल्यूसी) का लाभ उठाकर सिकल सेल रोगी स्क्रीनिंग करा सकते हैं। समुदायिक स्तर पर स्क्रीनिंग शिविरों के माध्यम से की जाएगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मिशन को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा) को प्रोत्साहन देने का प्रावधान तैयार करने की योजना बना रहा है।
कितनी आशा कार्यकर्ताओं के कंधों पर आएगा भार
सूत्रों ने कहा कि देशभर में लगभग 9.15 लाख आशा ग्रामीण क्षेत्रों में और 76,795 शहरी क्षेत्रों में कार्यरत हैं। सूत्रों ने कहा, मौजूदा मिशन का लक्ष्य तीन वर्षों की अवधि में सिकल सेल रोग से पीड़ितों लोगों को बीमारी की रोकथाम और देखभाल की सुविधाएं मुहैया कराना है।” इन लोगों को स्क्रीनिंग की सुविधा के साथ-साथ विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श भी मिलेगा। मिशन के तहत कुल सात करोड़ की आबादी को कवर किया जाएगा।
सिकल सेल जांच पर आशा को सरकार की तरफ से क्या मिलेगा?
यह प्रस्तावित है कि प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को सिकल सेल रोग स्क्रीनिंग के लिए प्रत्येक व्यक्ति की जानकारी जुटाने के लिए 20 रुपये मिलेंगे। सार्वजनिक स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से देखभाल परीक्षण सुनिश्चित कराने और उचित सिकल सेल कार्ड मुहैया कराने पर 20 रुपये अतिरिक्त दिए जाएंगे।
आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका अहम क्यों
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, आशा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। वे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की भूमिका निभाते हुए समुदाय और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को जोड़ते हैं। उनकी प्राथमिक जिम्मेदारियां स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता पैदा करना, स्थानीय स्वास्थ्य योजना के लिए समुदाय को संगठित करना है।”
आशा कार्यकर्ता जरूरत पड़ने पर मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं के उपयोग के लिए प्रोत्साहित भी करती है। सूत्रों ने कहा कि आशा समुदाय में स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के बारे में जानकारी की पहली सीढ़ी के रूप में काम करती हैं। स्वास्थ्य प्रणाली की जवाबदेही बढ़ाने में मदद मिलती है।
किन राज्यों में सिकल सेल रोग को समूल नष्ट करने पर फोकस
गौरतलब है कि राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन 17 राज्यों में चलाया जा रहा है। इन राज्यों में सिकल सेल रोग फैलने का खतरा अधिक है। सरकार के अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, असम, उत्तर प्रदेश, केरल, बिहार और उत्तराखंड में लागू किया जा रहा है।