Demonetisation: RBI Governer शक्तिकांत दास बोले- 2000 के नोट वापस करने में नहीं आएगी कोई कठिनाई, नियमित निगरानी कर रहा RBI
Demonetisation: RBI Governer शक्तिकांत दास बोले- 2000 के नोट वापस करने में नहीं आएगी कोई कठिनाई, नियमित निगरानी कर रहा RBI भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के संबंध में स्थिति की नियमित रूप से निगरानी कर रहा है। यह बात देश के केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कही।
आरबीआई ने शुक्रवार को अपने मुद्रा प्रबंधन के हिस्से के रूप में 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को वापस लेने की घोषणा की और मंगलवार से एक बार में 20 हजार रुपये तक के नोटों को बदलने की अनुमति दी। एक्सचेंज या डिपॉजिट विंडो 30 सितंबर, 2023 तक उपलब्ध है।
उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नोटों को बदलने और जमा करने के लिए चार महीने का समय दिया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी को कोई कठिनाई न हो। दास ने कहा, ‘कल कहीं भी भीड़ नहीं थी। और हम नियमित रूप से स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। मुझे नहीं लगता कि कोई चिंता की बात है या कोई बड़ा मुद्दा सामने आ रहा है… कारोबारी गतिविधियां चल रही हैं।’
समयसीमा को उचित ठहराते हुए उन्होंने कहा कि जब तक किसी प्रक्रिया में कोई समयसीमा नहीं होती है, तब तक यह प्रभावी नहीं होती है। उन्होंने आगे कहा, इसलिए आपको समयसीमा बताने की जरूरत है और हमने पर्याप्त समय दिया है।
उद्योग मंडल सीआईआई द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सवालों का जवाब देते हुए गवर्नर दास ने कहा कि उच्च मूल्य वर्ग के नोटों को वापस लेने की पूरी प्रक्रिया बिना किसी बाधा के होगी। उन्होंने कहा, पूरी प्रक्रिया गैर-विघटनकारी होगी। हमने इस बारे में अपना विश्लेषण कर लिया है। 2000 रुपये के नोट प्रचलन में कुल मुद्रा का लगभग 10.8 फीसदी (3.6 लाख करोड़ रुपये) हैं।
दास ने कहा कि इन नोटों ने जीवनचक्र पूरा कर लिया है और उद्देश्य पूरा हो गया है। उन्होंने कहा, इसका इस्तेमाल लेनदेन में नहीं किया जा रहा है… कोई भी उच्च मूल्य वर्ग का नोट इधर-उधर रह जाता है, उसके पास अन्य कॉलैट्रल इश्यू होते हैं। उन्होंने कहा कि इन उच्च मूल्य वर्ग के नोटों का इस्तेमाल उन मुद्राओं को तेजी से बदलने के लिए किया गया जिनकी वैध मुद्रा का दर्जा 2016 में वापस ले लिया गया था।
सरकार ने 2016 में एक चौंकाने वाला कदम उठाते हुए 500 और 1,000 रुपये के नोटों को अवैध बनाकर चलन में मौजूद 86 फीसदी मुद्रा को चलन से बाहर कर दिया था।
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