Geographical Indication (GI) tags मध्य प्रदेश ने जीआइ का परचम लहराया है। प्रदेश के उत्पादों को जीआइ टैग दिया गया है। मध्य प्रदेश का सुप्रसिद्ध शरबती गेहूं अब देश की बौद्धिक संपदा में सम्मिलित हो गया है। कृषि उत्पाद श्रेणी में शरबती गेंहू सहित रीवा के सुंदरजा आम को हाल ही में जीआइ रजिस्ट्री द्वारा पंजीकृत किया गया है। खाद्य सामग्री श्रेणी में मुरैना की गजक ने जीआइ टैग प्राप्त किया है।
जीआइ टैग के बारे में जानिए
जीआइ टैग भारत में भौगोलिक संकेतक टैग का संक्षिप्त नाम है। भारत जैसी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए जीआइ सुरक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण और आवश्यक है। भारत की संसद ने भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 1999 पारित किया। यह अधिनियम सितंबर 2003 से लागू हुआ। यह कंट्रोलर जनरल आफ ट्रैड मार्क, डिजाईन एंड ट्रेड मार्क चेन्नई द्वारा दिया जाता है। उल्लेखनीय है कि जीआइ प्रमाणित प्रत्येक उत्पाद पर जीआइ प्रमाणक (टैग) लगाया जाता है। इन्हीं कारणों से अंतरराष्ट्रीय मार्केट में जीआइ टैग प्राप्त उत्पादों का व्यापार निरंतर बढ़ रहा है।
हस्तशिल्प श्रेणी में प्रदेश की गोंड पेंटिंग, ग्वालियर के हस्तनिर्मित कालीन, डिंडौरी के लोहशिल्प, जबलपुर के पत्थर शिल्प, बालाघाट वारासिवनी की हैंडलूम साड़ी तथा उज्जैन के बटिक प्रिंट्स को भी जीआइ टैग प्राप्त हुआ है। गोंड पेंटिंग डिंडौरी का जीआइ टैग आदिम जाति कल्याण विभाग के वन्या संस्थान को दिया गया है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने इस पर प्रसन्नता जताई है।
प्रदेश की आदिवासी गुड़िया, पिथोरा पेंटिंग, काष्ठ मुखौटा, ढक्कन वाली टोकरी, और चिकारा वाद्य यंत्र के जीआइ आवेदन विचाराधीन हैं। सीहोर जिले के बुधनी के लकड़ी के खिलौने, अलीराजपुर जोबट की पंजा दरी तथा नांदना प्रिंट तारापुर जिला नीमच को भी जीआइ टैग प्रदान कराने की कार्रवाई की जा रही है।
About the Geographical Indication (GI) tags recognition 2022-23. The Geographical Indication (GI) recognition is given to products that are produced in a particular location. In the period between April 2022 and March 2023, a total of 12 products were selected for GI recognition, including two from overseas.
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