CBI की जांच में सामने आई करोड़ों की काली कमाई, हर बिल पास करने पर लिया जाता था 3% कमीशन
Katni CBI Raid रेल ठेकेदार के बिल पास करने के एवज में कमीशन लेते पकड़े गए रेलवे के सीनियर डीएमई एस.के.सिंह को पश्चिम मध्य रेल जोन मुख्यालय से निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। इसके अलावा आरोपी रेल अफसर के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है।
रिश्वत के आरोप में पकड़े गए सीनियर डीएमई एस के सिंह ने हर बिल पास करने के लिए तीन प्रतिशत रिश्वत राशि फिक्स कर रखी थी। बताया जाता है कि बिना यह राशि दिए कोई बिल पास नहीं किया जाता था। शिकायतकर्ता अमित शर्मा से भी बिल पास करने के लिए 3 प्रतिशत राशि 69 हजार रुपए मांगे गए थे।
छापेमारी में करोड़ों की काली कमाई का खुलासा
गौरतलब है कि सीबीआइ जबलपुर की टीम ने न्यू कटनी जंक्शन में पदस्थ रेलवे के सीनियर डीएमई एस के सिंह को 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। इसके बाद हुई छापेमारी में करोड़ों की काली कमाई का खुलासा हुआ है। रेलवे के सीनियर इंजीनियर के ठिकानों से मिले दस्तावेजों के अनुसार आरोपी का बनारस में बड़ा अस्पताल बन रहा है, वहीं जबलपुर में बेटे का कोचिंग इंस्टीटयूट है। 80 लाख रुपए बैंक खातों में जमा पाए गए हैं। घर पर 50 लाख रुपए की ज्वेलरी और विलासिता की चीजें मिली हैं। सीबीआई टीम ने यह कार्रवाई बुधवार रात की थी, जो दूसरे दिन गुरुवार तक चली। सीबीआई की एफआइआर के अनुसार वरिष्ठ मंडल यांत्रिकीय (सीनियर डीएमई) एस के सिंह ने ग्वालियर के ठेकेदार अंकित शर्मा के 25.84 लाख रुपए के बिल भुगतान के एवज में 69 हजार रुपए की रिश्वत मांगी थी।
रकम नहीं मिलने के कारण उसने एक साल से बिल लटका रखा था। सौदा तय होने के बाद अंकित ने इसकी शिकायत सीबीआई एसपी जबलपुर रिचपाल सिंह से की थी। इस पर बुधवार की रात ट्रैप की कार्रवाई करते हुए आरओएच शेड कार्यालय से सिंह को 40 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया गया। रात को उसे गेस्ट हाउस में रखकर बयान लिए गए और फिर ठिकानों पर छापे की कार्रवाई की गई। बताया जाता है कि रिश्वत के आरोपी सीनियर डीएमई की पत्नी गिरीश सिंह रेलवे के शिशु मंदिर स्कूल की मुख्य संचालनकर्ता हैं, इसके कारण संस्था के कार्यों की भूमिका की भी जांच हो रही है। यह भी बताया जाता है कि एस के सिंह 1985 से रेलवे में पदस्थ हैं, यहां पर ग्रुप सी में सीनियर सेक्शन इंजीनियर थे, पदोन्नति के बाद यहीं पर एएमई, डीएमई फिर सीनियर डीएमई बन गए थे।
उत्तरप्रदेश भेजी गई टीम
एक जानकारी में बताया जाता है कि आरोपी इंजीनियर की ठिकानों की जांच के लिए सीबीआइ की टीम उत्तरप्रदेश भी गई है। भोपाल के फ्लैट, गृह निवास बनारस उत्तरप्रदेश में पड़ताल चल रही है। रेलवे इंजीनियर के खिलाफ 1988 पीसी एक्ट की धारा 7 के तहत कार्रवाई की गई है। सीबीआई आरोपी अफसर को गिरफ्तार कर अपने साथ ले गई है।
प्रारंभिक जांच में मिली बेनामी संपत्ति
एक जानकारी में यह पता चला है कि 8400 रुपए ग्रेड पे वाले अधिकारी के पास प्रारंभिक जांच में लाखों रुपए नगद, बैंक खातों में लगभग 80 लाख मिले हैं। बंगले में 50 लाख रुपए की ज्वेलरी सहित विलासिता की सामग्री मिली है। बैंक खाते, एफडीआर सहित अन्य निवेश की जानकारी मिली है। लाखों की एलआइसी पॉलिसी व म्यूचल में इन्वेस्टमेंट के प्रमाण मिले हैं, जिसकी बारीकी से जांच की जा रही है। इसके अलावा भोपाल में दो फ्लैट व बनारस में अस्पताल बन रहा है तथा बेटा जबलपुर में बड़ा कोचिंग सेंटर चला रहा है।
सीबीआई टीम में शामिल रहे ये अधिकारी
भ्रष्टाचारी रेल अफसर को ट्रैप करने की कार्रवाई सीबीआई एसपी रिचपाल सिंह के निर्देशन में की गई। कार्रवाई में डीएसपी जेजे दांगले, इंस्पेक्टर प्रशांत पांडियन, इंस्पेक्टर एम के बैजू, सब इंस्पेक्टर संदीप हुड्डा, सुनील सिंह, कांस्टेबल के इ देवगन, मोहम्मद आरिफ, नरेश बघेल शामिल रहे।