Kalash Sthapana Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि 2023: कलश स्थापना, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दुर्गासप्तशती के पाठ का महत्व
Kalash Sthapana Chaitra Navratri 2023: चैत्र नवरात्रि 2023: कलश स्थापना, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और दुर्गासप्तशती के पाठ का महत्व ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार नवरात्र में तीन सर्वाथ सिद्धियोग सहित कई महायोग निर्मित हो रहे हैं। कलश स्थापना का मुहूर्त सुबह 10:03 मिनट तक रहेगा। 22 मार्च को बुधवार होने के कारण अभिजीत मुहूर्त को त्याज्य बताया गया है। कलश लोहे या स्टील का नहीं होना चाहिए। काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सदस्य पं. दीपक मालवीय के अनुसार कलश स्थापना के लिए पवित्र मिट्टी से वेदी का निर्माण करें। फिर उसमें जौ और गेहूं बोएं। उस पर यथाशक्ति मिट्टी, तांबे या सोने का कलश स्थापित करें। यदि विधिवत करना हो तो गणेशाम्बिका, वरुण, षोडशमातृका, सप्तघृत मातृका, नवग्रह आदि देवों का पूजन और पुण्याहवाचन ब्राह्मण द्वारा कराएं या स्वयं करें। इसके बाद उसका षोडशोपचार पूजन करें। तदनंतर श्रीदुर्गासप्तशती का संपुट या साधारण पाठ भी करने की विधि है। पाठ की पूर्णाहुति के दिन दशांश हवन अथवा दशांश पाठ करना चाहिए।
कन्या पूजन
कुमारी पूजन नवरात्रि व्रत का अनिवार्य अंग है। कुमारिकाएं जगतजननी जगदंबा का प्रत्यक्ष विग्रह हैं। सामर्थ्य हो तो नौ दिन तक, अन्यथा सात, पांच, तीन या एक कन्या को देवी मानकर पूजा करके भोजन कराना चाहिए।
नवदुर्गा को करें अर्पित
प्रतिपदा- उड़द, हल्दी, माला-फूल
द्वितीया- तिल, शक्कर, चूड़ी, गुलाल शहद
तृतीया- लाल वस्त्र, शहद, खीर, काजल
चतुर्थ- दही, फल, सिंदूर, मसूर
पंचमी- दूध, मेवा, कमलपुष्प, बिंदी
षष्ठी- चुनरी, पताका, दूर्वा
सप्तमी- बताशा, इत्र, फल-पुष्प
अष्टमी- पूड़ी, पीली मिठाई, कमलगट्टा, चंदन, वस्त्र
नवमी- खीर, सुहाग सामग्री, साबुदाना, अक्षत फल, बताशा
चैत्र नवरात्रि
दुर्गासप्तशती के पाठ का फल
दुर्गासप्तशती के एक पाठ से फलसिद्धि, तीन पाठ से उपद्रव शांति, पांच पाठ से सर्वशांति, सात पाठ से भय मुक्ति, नौ पाठ से यज्ञ केसमान फल, 11 पाठ से राज्य की प्राप्ति, बारह पाठ से कार्यसिद्धि, चौदह पाठ से वशीकरण, पंद्रह पाठ से सुख-संपत्ति, सोलह पाठ से धन व पुत्र की प्राप्ति, सत्रह पाठ से राजभय व शत्रु रोग से मुक्ति, 20 पाठ से ग्रहदोष शांति और पच्चीस पाठ से बंधन मुक्ति।