Lokayukta Trap: 5 हजार की रिश्वत ली, अब पटवारी की 5 साल जेल में कटेगी
Lokayukta Trap: 5 हजार की रिश्वत ली, अब पटवारी की 5 साल जेल में कटेगी फरियादी विजय कुमार अवस्थी ने 6 जून 2015 लोकायुक्त पुलिस सागर को इस आशय की शिकायत की थी कि राजनगर में स्थित प्लाट के सीमांकन करने के एवज में पटवारी गौरीशंकर पाठक उससे 5 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रहा है। लोकायुक्त पुलिस ने विजय अवस्थी को वॉयस रिकार्डर देकर पटवारी की रिश्वत मांग संबंधी बातों का रिकॉर्ड कराया।
आइए जानते हैं लोकायुक्त पुलिस के मामले व उन पर की गई कारर्वाही एवं सजा
रिश्वत लेना किसी भी शासकीय सेवक के लिए काफी जोखिम भरा काम है। छतरपुर में ₹5000 की रिश्वत के चक्कर में पटवारी गौरी शंकर पाठक 5 साल कठोर कैद की सजा सुनाई गई है। ₹20000 जुर्माना भी जमा करना पड़ेगा। उन पर आरोप था कि नियमानुसार सीमांकन करने के बदले ₹5000 की रिश्वत मांग रहे थे। रिश्वत ना देने पर अपना शासकीय कर्तव्य निभाने से मना कर दिया था।
पटवारी गौरीशंकर मामला- रिश्वत
एडवोकेट लखन राजपूत ने बताया कि फरियादी विजय कुमार अवस्थी ने 6 जून 2015 लोकायुक्त पुलिस सागर को इस आशय की शिकायत की थी कि राजनगर में स्थित प्लाट के सीमांकन करने के एवज में पटवारी गौरीशंकर पाठक उससे 5 हजार रुपए रिश्वत की मांग कर रहा है। लोकायुक्त पुलिस ने विजय अवस्थी को वॉयस रिकार्डर देकर पटवारी की रिश्वत मांग संबंधी बातों का रिकॉर्ड कराया। बातचीत के दौरान आरोपी गौरीशंकर पाठक ने 5 हजार रुपए रिश्वत लेने की बात की।
लोकायुक्त सागर
12 जून को ट्रैप दल लोकायुक्त सागर से रवाना होकर राजनगर पहुंचा, जहां पर फरियादी ने आरोपी से फोन पर संपर्क किया तो आरोपी ने फरियादी को राजस्व निरीक्षक कार्यालय राजनगर में बुलाया। फरियादी राजस्व निरीक्षक कार्यालय के अंदर गया और आरोपी को पांच हजार रुपए रिश्वत देकर ट्रैप दल को इशारा किया। ट्रैप दल ने अंदर जाकर आरोपी पटवारी गौरीशंकर पाठक को रंगे हाथों पकड़ा। संपूर्ण विवेचना उपरांत चालान न्यायालय में पेश किया।
रिश्वतखोर कर्मचारियों को कठोर सजा
अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक एडीपीओ केके गौतम ने पैरवी करते हुए सभी सबूत एवं गवाह कोर्ट में पेश किए एवं आरोपी को कठोर से कठोर सजा की मांग की। विशेष न्यायाधीश सुधांशु सिन्हा की कोर्ट ने फैसला सुनाया कि लोक सेवकों द्वारा भ्रष्टाचार किया जाना एक विकराल समस्या हो गई है, जो समाज को खोखला कर रही है। भ्रष्टाचार लोकतंत्र और विधि के शासन की नींव को हिला रहा है। ऐसे आरोपियों को सजा देते समय नरम रुख दिखाना कानून की मंशा के विपरीत है और भ्रष्टाचार के प्रति कठोर रुख अपनाया जाना समय की मांग है।