Jabalpur Railway Station Name Change जबलपुर स्टेशन का भी नाम बदल कर रानी दुर्गावती स्टेशन करने की मांग तेज
Jabalpur Railway Station Name Change: मध्य प्रदेश के एक और रेलवे स्टेशन का नाम बदलने की कवायद चल रही है. भोपाल के रानी कमलापति स्टेशन की तर्ज पर डेढ़ सौ साल पुराने जबलपुर स्टेशन का नामकरण वीरांगना रानी दुर्गावती के नाम पर करने की कागजी कार्यवाही शुरू हो गई है. अब आगे इसका प्रस्ताव राज्य सरकार द्वारा रेल मंत्रालय को भेजा जाएगा. इसके साथ ही, 300 करोड़ रुपये से जबलपुर स्टेशन का विकास एयरपोर्ट की तर्ज पर करने की तैयारी है.
ये मांग बीजेपी सांसद राकेश सिंह (MP Rakesh Singh) ने उठाई है. इसके तहत सांसद ने रेल अधिकारियों से मुलाकात भी की और जबलपुर स्टेशन का नाम रानी दुर्गावती स्टेशन (Rani Durgavati Station) रखने की बात कही. ये स्टेशन लगभग 150 साल पहले बना हुआ था. इसके अलावा कहा जा रहा है कि स्टेशन के नाम बदलने का प्रस्ताव राज्य सरकार (Shivraj Sarkar) द्वारा रेल मंत्रालय को भी भेजा जा चुका है.
1867 में शुरू हुआ था आवागमन
जबलपुर स्टेशन की बात करें ये स्टेशन काफी ज्यादा ऐतिहासिक है. ब्रिटिश शासन काल में इसे ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे और ईस्ट इंडियन रेलवे के बीच इंटरचेंज स्टेशन के रूप में बनाया गया था. यह स्टेशन मुम्बई-कोलकाता रेल मार्ग का प्रमुख जंक्शन है. इससे होकर कई महत्वपूर्ण ट्रेनें गुजरती है. इसके अलावा बता दें कि अंग्रेजो के शासन में इसे जुबुलपुर स्टेशन कहा जाता था.
रानी दुर्गावती होगा स्टेशन का नाम
जबलपुर रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी दुर्गावती रखे जाने की मांग तेज हो गई है. कहा जा रहा है कि इसे लेकर के कागजी कार्यवाही भी पूरी हो गई है. ये मांग जबलपुर के सासंद राकेश सिंह ने उठाई है. रानी दुर्गावती का जन्म जबलपुर में हुआ था और आदिवासी समाज के लोग रानी दुर्गावती के ऊपर गर्व भी करते है. ये गोंडवाना साम्राज्य की एक आदिवासी रानी थीं इनके किस्से आज भी लोगों के लिए प्रेरणा का काम करते हैं.
आदिवासियों को साधने की तैयारी
स्टेशन का नाम बदलने के पीछे भाजपा की आदिवासियों को साधने की तैयारी बताई जा रहा है. कहा जा रहा है कि रानी दुर्गावती नाम होने से आदिवासी समाज के लिए एक शुभ संकेत जाएगा. अगर हम एमपी की राजनीति की वर्तमान परिस्थितियों की बात करें तो 230 विधानसभा सीटों में 47 सीटें आदिवासी आरक्षित सीटे हैं. जबकि राज्य में आदिवासियों की कुल आबादी 21 प्रतिशत के आसपास है