Panchayat chunav: आरक्षण की दोहरी व्यवस्था, पंचायत चुनाव नहीं कराना चाहती है सरकार
भोपाल। राज्य निर्वाचन आयोग ने भले ही पंचायत चुनाव की घोषणा कर दी हो पर भाजपा सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती है। यही वजह है कि संवैधानिक प्रविधान और नियमों को दरकिनार करते हुए आरक्षण की दोहरी व्यवस्था रखी गई है। प्रभावित पक्ष ने जबलपुर हाईकोर्ट के साथ ग्वालियर और इंदौर खंडपीठ में याचिकाएं दायर की हैं। कांग्रेस पार्टी न्यायालय नहीं जाएगी पर प्रभावितों को पूरा सहयोग देगी। हम चुनाव कराना चाहते हैं लेकिन नियमों का पालन होना चाहिए। यह बात पूर्व पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने सोमवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही उन्होंने बताया कि कांग्रेस सरकार ने संवैधानिक व्यवस्थाओं के तहत पंचायतों का परिसीमन और आरक्षण किया था। इसके खिलाफ भाजपा के लोग हाईकोर्ट भी गए थे पर उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था।
सत्ता परिवर्तन के बाद से ही भाजपा सरकार चुनाव कराने के पक्ष में नहीं रही। यही वजह है कि किसी न किसी बहाने से चुनाव को टाला जाता रहा। अभी भी पंचायत राज अधिनियम में अध्यादेश के माध्यम से संशोधन करके पंचायत चुनाव को विवादित बनाने का प्रयास किया गया है। इसके माध्यम से वर्ष 2019 में हुए परिसीमन को निरस्त कर दिया गया है। इससे एक हजार से ज्यादा जो नई पंचायतें बनी थीं, वह समाप्त हो गईं। आरक्षण व्यवस्था वर्ष 2014 के चुनाव वाली लागू की गई है जो पंचायत राज अधिनियम के विरुद्ध है क्योंकि नियमों में स्पष्ट प्रविधान है कि पांच साल में रोटेशन के आधार पर आरक्षण होगा। वहीं, सरकार जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए 14 दिसंबर को आरक्षण करने जा रही है। यह दोहरी व्यवस्था नियमों के विपरीत है।
राज्य निर्वाचन आयोग पर दबाव डालकर चुनाव कार्यक्रम घोषित कराया गया है। प्रदेश कांग्रेस की ओर से चुनाव संबंधी कार्यों के प्रभारी जेपी धनोपिया ने बताया कि मतदाता सूची को अभी अंतिम रूप नहीं दिया गया है। विभिन्न न्यायालय ने शासन को आरक्षण व्यवस्था से जुड़े विषय पर नोटिस दिए हैं, जिनका निराकरण नहीं हुआ है। सोमवार को भी सुनवाई हो रही है। ऐसे में चुनाव की घोषणा यह बताती है कि सरकार चुनाव नहीं कराना चाहती है। कांग्रेस जल्द चुनाव कराने के पक्ष में है इसलिए प्रतिनिधिमंडल ने राज्य निर्वाचन आयुक्त से मुलाकात भी की थी। पार्टी न्यायालय में नहीं जाएगी पर जो भी प्रभावित पक्ष न्यायालय जाता है उसे हरसंभव सहयोग जरूर दिया जाएगा।