MP 89 विकास खंडों में ग्रामसभा तय करेगी साहूकारी होगी या नहीं
भोपाल। मध्य प्रदेश में आदिवासियों को साहूकारों के शोषण से बचाने और विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए शिवराज सरकार लगातार बड़े फैसले कर रही है।
89 आदिवासी विकासखंडों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों द्वारा गैर पंजीकृत साहूकारों से लिए गए ऋण को शून्य करने के बाद अब मध्य प्रदेश पंचायत उपबंध अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार (पेसा) अधिनियम लागू कर दिया है।
इससे अब ग्रामसभा तय करेगी कि गांव में साहूकारी करने के लिए किसी को पंजीकृत करना है या नहीं। खदान व शराब दुकान के संचालन के लिए भी ग्रामसभा की अनुमति जरूरी होगी। विकास योजनाओं को अंतिम रूप भी ग्रामसभा ही देगी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की अधिसूचना जारी होने के बाद अब नियम बनेंगे और फिर संबंधित विभागों द्वारा विभिन्न् अधिकारों से जुड़ी अधिसूचनाएं जारी कर जाएंगी।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 12 हजार से ज्यादा गांव 89 आदिवासी विकासखंडों में आते हैं। पेसा अधिनियम के माध्यम से ग्रामसभा को सशक्त बनाया गया है। अब आदिवासी बहुल इन गांवों में कौन से विकास के कार्य कराए जाने हैं और प्राथमिकता क्या रहेगी, यह ग्रामसभा ही तय करेगी।
गांव में लगने वाले पशु व सब्जी बाजार, मेले और विभिन्न् सुविधाओं के लिए ग्रामीणों से लिए जाने वाले शुल्क के संबंध में निर्णय भी ग्रामसभा लेगी। सामुदायिक वन प्रबंधन के तहत वनोपज संबंधी निर्णय का अधिकार ग्रामसभा के पास रहेगा। तेंदूनत्ता संग्रहण और विक्रय का काम ग्रामसभा करेगी।
बांस-बल्ली आदि की बिक्री से होने वाली आमदनी का एक हिस्सा ग्रामसभा द्वारा गठित की जाने वाली वन विकास समिति को मिलेगा। लाभांश का वितरण सदस्यों में किया जाएगा। इसी तरह शराब की दुकान खुलेगी या नहीं, इसके लिए आबकारी विभाग को ग्रामसभा से अनुमति लेनी होगी।
यदि ग्रामसभा इन्कार कर देती है तो संबंधित गांव में शराब दुकान नहीं खुलेगी। आदिवासी की भूमि पर यदि गैर आदिवासी ने कब्जा कर लिया है तो ग्रामसभा उसे वापस कराएगी। इसके लिए ग्रामसभा की अनुशंसा पर राजस्व विभाग कार्रवाई करेगा। पुनर्वास और विस्थापन संबंधी कार्यों में भी ग्रामसभा को ही सारे अधिकार रहेंगे।