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विश्नोई की दावेदारी छोडने के बाद उदयभान मैदान में ?

जबलपुर, नगर प्रतिनिधि। टिकट के दावेदार कॉलम की श्रृंखला में ग्रामीण की पाटन विधानसभा सीट के दावेदारों का विश्लेषण क्रमवार प्रस्तुत किया जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी की ओर से  मजबूत माने जा रहे है नाम अजय विश्नोई का दावेदारी छोड़ने का निर्णय सामने आने से भाजपा की ओर से ये समीकरण सामने आ रहे हैं।

पूर्व मंत्री के करीबी माने जाने वाले पाटन के उदयभान सिंह ठाकुर का नाम दावेदारों के बीच सबसे मजबूती से उभरकर सामने आया है जो कि खाली हुए स्थान की भरपाई करने में सबसे प्रबल दावेदार है।

कौन है उदयभान 
पाटन के पास स्थित सिनगौरी के उदयभान सिंह मजबूत पारिवारिक पृष्ठभूमि से हैं जिनके परिवार का क्षेत्र में पहले से ही नाम और पहचान रही है जो उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को बताती है।

वे बहुत छोटी उम्र में ही वे कॉपरेटिव बैंक के डायरेटर बने उसके बाद दूसरे कार्यकाल में उपाध्यक्ष नियुत किए गए। इसके अलावा वर्तमान में पाटन जनपद व जिला सदस्य पर वे व उनके परिवार के लोग काबिज हैं। 2008 में परिसीमन के बाद पाटन की 36 पंचायतें कटंगी मझौली विधानसभा सीट में शामिल हो गयीं। पाटन क्षेत्र भाजपा के प्रत्याशी के लिए नया था जहां कांग्रेस नेताओं की तूती बोलती थी। ऐसे में उदयभान ने भाजपा के लिए यहां संगठन खड़ा किया और जिसका परिणाम यह हुआ कि 2008 की जीत में पाटन से भाजपा को लंबी लीड मिली।

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इसके अलावा पिछले 25 वर्षों से पाटन जनपद पर कांग्रेस समर्थित लोगों का दबदबा था जिसे पिछले चुनाव में उदयभान सिंह ने खत्म किया। जनपद सहित नगरीय निकाय व जिला सदस्य पर इनके पविार का या इनके समर्थित लोगों का कजा हो गया।

क्षेत्रीय समीकरण
यदि क्षेत्रवाद की बात की जाए तो ये पूरी तरह से क्षेत्रीय दावेदार हैं जबकि भाजपा की तरफ से अन्य दावेदारों की  बात की जाए तो कहीं न कहीं ज्यादातर पर बाहरी होने का ठप्‍पा लगा हुआ है। जबकि
उदयसिंह पैतृक रूप से पाटन के सिनगौरी गांव के हैं। इसके अलावा जनपद पंचायत पाटन पर काविज
होने के चलते यहां के 218 गांवों में ये पिछले तीन साल से काम कर रहे थे जिसके चलते इनके पक्ष में एक माहौल है।

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जातिगत समीकरण
यदि जातिगत समीकरण के आधार पर देखा जाए तो ये लोधी समाज से आते हैं जो कि पिछड़ा वर्ग में है और इस सीट पर पिछड़ों के विकास को लेकर माहौल तैयार हो रहा है जिसका फायदा इन्हें मिल सकता है। इसके अलावा अन्य जातियों में भी इनकी अच्छी पकड़ है। जनपद अध्यक्ष होने के नाते इन्होंने जो काम किए हैं उसके चलते सभी जातियों में इनकी स्वीकारिता बढ़ी है।

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इनकी ताकत व कमजोरी
जो इनकी ताकत है वहीं कभी कभी कमजोरी बनकर भी सामने आ जाती है। इनका जुझारू व काम के प्रति समर्पण इनकी सबसे बड़ी ताकत है लेकिन कभी कभी यह संगठन से विवाद का कारण भी बन जाता है लेकिन वे जो ठान लेते हैं उस पर अडिग रहते हैं। विगत दिनों किसानों की समस्याओं को लेकर पाटन बंद व विद्युत मंडल के घेराव के आंदोलन का आव्हान किया गया था जिसमें बड़ी संया में किसान पाटन पहुंचे और बाजार पूरी तरह से बंद रहा।