सिंघाड़ा से सावधान… जिन तालाबों को जहर नष्ट करने बनाया, उनमें हो रही सिंघाड़े की खेती
भोपाल । सिंघाड़ा से सावधान… जिन तालाबों को जहर नष्ट करने बनाया, उनमें हो रही सिंघाड़े की खेती। अगर आप सिंघाड़ा खाने के शौकीन हैं तो थोड़ा सावधान हो जाइए। यह इसलिए क्योंकि भोपाल के जेपी नगर क्षेत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाना के किनारे जिन तीन लघु तालाबों (पौंड) को जहरीला कचरा नष्ट करने के लिए बनाया था उनमें सिंघाड़े की खेती की जा रही है।
वे ही सिंघाड़े बाजार में बेचे जा रहे हैं, इसलिए सिंघाड़ा खरीदते समय पूछताछ जरूर कर लीजिए।
दरअसल, भोपाल के जेपी नगर में यूनियन कार्बाइड कारखाना है। इसी कारखाने से 2 व 3 दिसंबर 1984 की दरमियानी रात को मिथाइल आइसोसाइनेट नामक जहरीली गैस रिसी थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे और लाखों प्रभावित हुए थे।
आज भी पीढ़ी दर पीढ़ी इसका असर मौजूद है। जब यह कारखाना चालू था, तब उससे निकलने वाले जहरीले अपशिष्ट को नष्ट करने के लिए 400 मीटर दूर तालाब बनाए थे। मौजूदा समय में उन तालाबों में पानी भरा हुआ है और लोग उनमें सिंघाड़े की खेती कर रहे हैं।
कुछ लोग तो मछली पकड़कर खाते हैं। ये तालाब 1977 में बनाए गए थे। 1984 के पहले तालाबों में कचरा छोड़ने वाला एक पाइप खराब हुआ था, जिसे ठीक किया गया था।
कलेक्टर को बताया था
गैस पीड़ित संगठन की रचना ढींगरा का कहना है कि उक्त तालाब में कारखाना चालू रहने के दौरान तक जहरीले अपशिष्ट को नष्ट किया जाता रहा था। अब उसी में सिंघाड़े की खेती होना मानव जाति के लिए गंभीर खतरा है। हमने दो साल पूर्व भोपाल कलेक्टर को जानकारी दी थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की है।
सेहत के लिए गंभीर खतरा
पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी पांडे बताते हैं कि मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के अवशेषों के साथ फॉस्जीन, हाइड्रोजन साइनाइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रोजन क्लोराइड के अवशेष भी थे, ये गैंसे जानलेवा होती हैं। ऐसे उद्योगों में गंभीर खतरा पैदा करने वाले रसायन भी होते हैं।
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