फीस पर नियंत्रण का कानून बनाने में सरकार ने लगा दिए नौ साल
भोपाल।
राज्य सरकार ने निजी स्कूलों की फीस पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने में नौ साल लगा दिए। वर्ष 2008 में पहली बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अभिभावकों की शिकायतों पर निजी स्कूलों पर नियंत्रण के लिए कानून बनाने की घोषणा की थी। वहीं जबलपुर हाईकोर्ट ने नवंबर 2015 में गाइडलाइन की बजाय कानून बनाने को कहा था।कैबिनेट ने रविवार को ‘मप्र निजी विद्यालय (फीस में अनियमित वृद्धि तथा अन्य अनुषांगिक विषयों का नियंत्रण) अधिनियम” को मंजूरी दे दी है। अधिनियम सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में विधानसभा पटल पर रखा जाएगा। इससे प्रदेश के निजी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे अभिभावकों को फौरी तौर पर राहत मिलने की उम्मीद है, क्योंकि कानून में निजी स्कूलों के अधिकारों का भी ध्यान रखा गया है। वे हर साल 10 और 20 फीसदी से ज्यादा फीस भी बढ़ा सकेंगे, बशर्ते उन्हें जिला और राज्य समिति से इजाजत लेनी होगी।
एक तरह से कानून का यह मसौदा 30 अप्रैल 2015 को स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का हिस्सा है। इस गाइडलाइन से उस समय शिक्षाविद् सहमत नहीं थे। सूत्र बताते हैं कि श्ािकायत के लिए एक हजार रुपए शुल्क लेने का प्रावधान कानून से हटा दिया गया है। इस मुद्दे को ‘नवदुनिया” ने प्रमुखता से उठाया था।
सिविल कोर्ट की शक्तियां रहेंगी
सूत्रों के मुताबिक जिला और राज्य स्तर पर गठित होने वाली फीस विनियामक समितियों को सिविल कोर्ट की शक्तियां दी जा रही हैं। जिला समिति कलेक्टर और राज्य समिति स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव की अध्यक्षता में काम करेंगी। दोनों में शिक्षाविद् और चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) रहेंगे। जबकि छात्र व अभिभावकों को समिति में जगह नहीं मिलेगी और दूसरे व्यक्ति या संगठन को भी शिकायत के अधिकार नहीं रहेंगे।
कब-क्या हुआ
– मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2008 से 2010 तक निजी स्कूलों की फीस नियंत्रित करने कानून बनाने की घोषणा चार बार की।
– 2012 में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शन मंच ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ‘फीस रेगुलेटरी कमेटी” बनाने की मांग की।
– 4 जनवरी 2013 को हाईकोर्ट ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा को नोटिस जारी कर सरकार का पक्ष पूछा। विभाग ने कहा कि हम नियम बना रहे हैं।
– 12 अप्रैल 2014 की सुनवाई में सरकार ने नियम बनाने में समय लगना बताया। कोर्ट ने तीन माह दिए।
– नियम कोर्ट में पेश न होने पर मंच ने जुलाई 2014 में अवमानना याचिका लगाई। विभाग के प्रमुख सचिव को फिर से नोटिस जारी।
– 2015 में सूर्य नमस्कार कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा विभाग के राज्यमंत्री दीपक जोशी ने कमेटी गठित करने की घोषणा की।
– विभाग ने 30 अप्रैल 2015 को फीस नियंत्रण की गाइडलाइन जारी कर दी।
– गाइडलाइन के खिलाफ हाईकोर्ट की ग्वालियर बैंच में याचिका दायर हुई। कोर्ट ने मई 2015 में इसे खारिज कर दिया।
– 13 नवंबर 2015 को मार्गदर्शक मंच ने जबलपुर हाईकोर्ट में रिट पिटीशन दायर कर फीस कमेटी और कानून बनवाने की मांग की।
– दिसंबर 2015 में सरकार ने कानून बनाने के लिए तीन माह मांगे। मार्च 2016 में समय समाप्त होने के बाद सरकार ने हाई पॉवर कमेटी गठित की और फिर समय मांगा।
– अप्रैल 2016 से अब तक विभाग के मंत्री चार बार कानून का मसौदा विधानसभा में रखने की घोषणा कर चुके हैं।
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