BHOPAL : नाथ सरकार राज्यपाल के कुलपति नियुक्ति के अधिकार में करेगी कटौती
भोपाल। प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के तहत आने वाले विश्वविद्यालयों में राज्यपाल को प्राप्त कुलपति की नियुक्ति के अधिकारों में कटौति करने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए अब कमलनाथ सरकार शीतकालीन सत्र में एक विधेयक पेश करने जा रही है। सदन से स्वीकृति के बाद राज्यपाल की मंजूरी के बाद इसे प्रदेश में लागू कर दिया जाएगा। इसके लागू होने के बाद विवि में कुलपति की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि की सहमति से ही की जा सकेगी। अभी विवि में कुलपति का चयन तीन सदस्यीय कमेटी करती है।
समिति में एक सदस्य राज्यपाल द्वारा नाम निर्दिष्ट होता है। एक सदस्य यूजीसी से तय होता है। इसके अलावा एक सदस्य विवि की कार्यपरिषद द्वारा नाम निर्दिष्ट व्यक्ति होता है। प्रदेश के विभिन्न सात पारंपरिक विश्वविद्यालयों में जब भी कुलपति का चयन किया जाता है तो इस तीन सदस्यीय सर्च कमेटी द्वारा कुलपति के लिए चुनिंदा व्यक्तियों में से तीन नामों का प्रस्ताव रखा जाता है। उस पर चर्चा के बाद सभी तीनों सदस्यों की सहमति से कुलपति का चयन होता है और अंतिम रूप से राज्यपाल उस पर स्वीकृति की मुहर लगाते हैं।
यह विवि रहेगें दायरे में
बरकतउल्ला विवि भोपाल, रानी दुर्गावती विवि जबलपुर, जीवाजी विवि ग्वालियर, विक्र विवि उज्जैन, देवी अहिल्या विवि इंदौर, अवधेश प्रताप सिंह विवि रीवा, महाराजा छत्रसाल विवि छतरपुर और छिंदवाड़ा विवि छिंदवाड़ा। किया जाएगा
विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन
राज्य सरकार इसके लिए मध्यप्रदेश विश्वविद्यालय द्वितीय संशोधन विधेयक 2019 लाएगी। इसके जरिए मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 में संशोधन किया जाएगा। इसके में मूल अधिनियम की धारा 13 की उपधारा दो में खंड एक कार्यपरिषद द्वारा निर्वाचित व्यक्ति के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा नाम निर्दिष्ट किया गया व्यक्ति एवं अधिनियम की धारा 13 की उपधारा तीन में कार्य परिषद के स्थान पर राज्य सरकार द्वारा स्थापित किए जाने हेतु वरिष्ठ सचिव द्वारा संशोधन किया जाएगा।