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महुआ के पेड़ के पास बीमारी ठीक कराने पहुंच रहे लोग

होशंगाबाद। मध्‍य प्रदेश के होशंगाबाद जिले (Hoshangabad District) में इन दिनों महुआ (Mahua) का एक पेड़ कौतूहल का विषय बना हुआ है. सोशल मीडिया से शुरू हुआ यह खेल आज एक आस्था या फिर कहें अंधविश्वास के रूप में बड़ा रूप ले चुका है. जी हां, सोशल मीडिया (Social Media) पर होशंगाबाद जिले के पिपरिया के नजदीक सतपुड़ा के जंगलों में लगा एक महुआ का पेड़ काफी चमत्कारिक बताया गया. इस खबर के वायरल होने के बाद आज देशभर से लाखों की संख्या में परेशान श्रद्धालु इस पेड़ के पास पहुंच रहे हैं. हालांकि एक भी श्रद्धालु ऐसा नहीं मिला है जो महुआ के पेड़ को छूने के बाद ठीक हुआ हो. यही नहीं, अब यह महुआ का पेड़ पुलिस प्रशासन (Police Administration) के लिए सिरदर्द बन चुका है, क्योंकि हजारों की संख्या में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पुलिस को कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है.

किया जा रहा है ये दावा
चर्चा यह है कि इस पेड़ के पास हाथ रख कर बैठने से अपने आप हाथ पेड़ की तरफ खींचे चले जाते हैं और लोगों की बीमारियां ठीक हो जाती हैं. इस खबर के वायरल होने के बाद पिपरिया के नजदीक बसे एक छोटे से गांव कोड़ापड़रई से लगे जंगलों में मौजूद यह पेड़ चमत्कारिक पेड़ के नाम से मशहूर हो गया. महुआ का यह पेड़ जिसे चमत्कारिक बताया जा रहा है इसके दर्शन के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु प्रतिदिन इस गांव की ओर रुख कर रहे हैं. जबकि रविवार को देशभर से तकरीबन एक लाख के करीब जनता इस चमत्कारी पेड़ के दर्शन के लिए पहुंची थी.

पुलिस के उड़े होश
सोशल मीडिया पर कल एक मैसेज वायरल हुआ कि चमत्कारिक पेड़ के पास जनता में भगदड़ मच गई जिसके चलते कई लोग घायल हो गए. इस खबर के वायरल होने के बाद मुख्यालय तक हल्ला मच गया. हल्ला मचते ही भोपाल से लेकर होशंगाबाद के अधिकारियों के होश उड़ गए. होशंगाबाद रेंज के आईजी सहित जिले की फोर्स को पिपरिया के कोड़ापड़रई गांव की ओर जाना पड़ा. जबकि होशंगाबाद रेंज आईजी ने रविवार को इस पेड़ के नजदीक रह कर आम जनता की सुरक्षा के चलते अपनी ड्यूटी बजाई है.

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आस्‍था या अंधविश्‍वास
अब यह आस्था है या अंधविश्वास इसे आप खुद समझिए. होशंगाबाद पुलिस अधीक्षक एमएल छारी ने भी रविवार को दिन भर रह कर गांव तक पहुंचने के मार्ग को खुलवाया. साथ ही लोगों को हिदायत दी कि इस तरह की कोई भी चमत्कारी चीज नहीं होती. उसके बावजूद आम जनता ने स्थानीय प्रशासन की एक नहीं मानी और आज भी यह सिलसिला जारी है.

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