दो दिन और गाड़ियां चलती तो धंस जाता तीस करोड़ का ये फ्लायओवर, देखें तस्वीरें
भोपाल। 30 करोड़ रुपए की लागत से बने सिंगारचोली फ्लाईओवर के निर्माण में लापरवाही और घटिया निर्माण कार्य की तमाम हदें पार की गई हैं। यदि ब्रिज से एक-दो दिन और यातायात जारी रहता तो यह बड़े हादसे का कारण बन जाता। धांधली की अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिलर के ठीक ऊपर ब्रिज की सड़क ही एक इंच तक धंस गई।
नवदुनिया ने सीनियर सिविल इंजीनियर व आर्किटेक्ट आरके सोनी के साथ बुधवार को मौके पर जाकर फ्लाईओवर का जायजा लिया। इस दौरान इंजीनियर सोनी ने बताया कि ब्रिज की प्लानिंग व डिजाइन में नहीं, बल्कि निर्माण में कई गड़बड़ियां की गई हैं। बारिश व वाहनों की आवाजाही के कारण ब्रिज की रिटर्निंग वाल का वर्टीकल शेप (सीधी ऊचांई) ही बदल गया है। इसलिए, ब्रिज लंबाई में समानांतर न होते हुए बलजिंग (लहराता हुआ) नजर आ रहा है। कई स्थानों पर सीसी ब्लाक (सीमेंट की बनी सिल्लियां) के ज्वाइंट कमजोर होने के कारण ब्लॉक बाहर निकल आए हैं। साथ ही सही तरीके से फिटिंग नहीं होने के कारण सीसी ब्लाक वाहनों का भार नहीं सह सके और टूट गए। यह ब्रिज के निर्माण में की गई धांधली को दर्शाता है।
ब्रिज की सड़क भी धंस गई, गलती छुपाने सीमेंट बिछाया
एक्सपर्ट की टीम के साथ नवदुनिया ने मौके पर पाया कि ब्रिज के ढांचे के साथ ही सड़क निर्माण में भी घटिया काम किया गया। पिलर के ठीक ऊपर एयरपोर्ट से लालघाटी आने वाली लाइन में सड़क ही धंस गई है। एनएचएआई व ठेकेदार ने इस गलती को छुपाने के लिए डामर की रोड पर सीमेंट की मोटी परत बिछा दी है। सात माह पहले बनी डामर की रोड में भी दरार आ गई है।
दोनों हिस्से के बेस को ही नहीं मिलाया गया
ब्रिज के बीच में दोनों ही ओर के बेस को नहीं मिलाया गया है। इंजीनियर सोनी बताते हैं कि ऐसा निर्माण बेहद घातक है। ब्रिज को पिलर के ऊपरी हिस्से में जहां सड़क को ब्रिज के दोनों हिस्से से जोड़ा जाता है, वहां लेवलिंग नहीं की गई। ब्रिज के दूसरे भाग में कहीं चार सेमी तो कहीं आठ सेमी तक का फर्क है। लिहाजा, ब्रिज की मजबूती भी कम हुई। ब्रिज की दोनों ओर की लेन भी ऊपर नीचे है। पूरे ब्रिज में सड़क धंसने का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ढलान के बावजूद सड़क के कई हिस्सों में पानी भरा हुआ है।
टूट कर गिर रहा ब्रिज का हिस्सा
नवदुनिया ने मौके पर पाया कि मंगलवार को प्रिकास्टेड वॉल का जो हिस्सा फट गया था, ठीक उसके ऊपर कमजोर निर्माण का एक भाग कंक्रीट के साथ नीचे गिर गया। लोगों ने बताया कि रातभर की बारिश के बाद कुछ अन्य स्थानों पर भी ब्रिज के ऊपरी निर्माण का हिस्सा टूट कर नीचे गिर रहा है। ब्रिज के अंदरूनी हिस्से से बाहर पानी के रिसाव के कारण भी सीलन आ गई है।
पानी निकासी के लिए सिर्फ खानापूर्ति
एक्सपर्ट ने निरीक्षण के दौरान बताया कि पानी निकासी के लिए भी प्लानिंग से काम नहीं किया गया। लिहाजा, ब्रिज के स्ट्रक्चर में पानी भरने के कारण भी यह धंस गया है। पूरे ब्रिज में सड़क से 15 से 20 सेमी ऊपर तक पानी निकासी के लिए होल बनाए गए हैं। वहीं, कई स्थानों पर दरार व पाइप नहीं होने के कारण भी ब्रिज के अंदर पानी भर गया।
नया निर्माण ही बेहतर विकल्प
इंजीनियरों ने बताया कि ऐसे निर्माण के दो ही विकल्प हैं। यदि ब्रिज का निर्माण इंटरलॉक प्लानिंग व इंजीनियरिंग के आधार पर किया गया है तो कवासट कर सुधार का काम किया जा सकता है। कुछ हिस्से का दोबारा निर्माण ही कराना होगा। लेकिन ब्रिज की रोड, ऊपरी हिस्से, प्रिकास्टेड वॉल, ब्रिज की दीवार के बदले स्ट्रक्चर को देखते हुए इसका निर्माण नए तरीके से किया जाना ही उचित होगा। इससे मजबूत स्ट्रक्चर के साथ तकनीकी खामियों को बेहतर तरीके दूर किया जा सकता है।
एनएचएआई दे रहा लोगों को दूर रहने की हिदायत
मौके पर मौजूद एनएचएआई के अधिकारियों ने नवदुनिया को बताया कि ब्रिज से दो फीट दूर चलने की हिदायत की जा रही है। यहां ठेकेदार कंपनी ने सुरक्षा गार्ड भी तैनात कर दिए हैं। अधिकारियों ने इसके पीछे तर्क दिया कि ब्रिज में यातायात के कारण कंपन न हो इसके लिए ऐसा किया जा रहा है। उधर, जगह-जगह से उधड़ चुके ब्रिज को बड़ी पॉलीथिन से ढंका जा रहा है।