उम्मीदवारों के लिए जमानत बचाना होगा मुश्किल काम
जबलपुर। यूं तो चुनाव लडऩे वाला हर उम्मीदवारी अपनी जीत के दावे करता है लेकिन जीत किसी एक को ही मिलती है। जबकि हारे हुये निकटतम प्रत्याशियों में निकटतम प्रतिद्वंदी कहलाने का हक भी दूसरे नंबर पर सर्वाधिक मत पाने वाले उम्मीदवारों को नसीब होता है। चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद यह भी होता है कि कुछ उम्मीदवार तो सम्मानजनक मत पाते हैं जबकि कुछ उम्मीदवार ऐसे भी होते हैं, जिन पर मतदाताओं की नजरें इनायत बिल्कुल भी नहीं होती और ऐसे उम्मीदवार नामांकन पत्र दाखिल करते समय जमा की गई निक्षेप जमानत राशि भी गवां बैठते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक चुनाव लड़ रहे ऐसे उम्मीदवार जिनकों अपने निर्वाचन क्षेत्र में कुल डाले गये मतों का छटवां हिस्सा भी नहीं मिल पाता, नामांकन प्रस्तुत करते समय उनके द्वारा जमा की गई निक्षेप राशि या सुरक्षा निधि जप्त कर ली जाती है। आम बोलचाल की भाषा में इसे उम्मीदवार की जमानत जप्त हो जाना कहते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक विधानसभा चुनाने के ख्वाहिशमंद सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों को 10 हजार रूपये और अनुसूचित वर्ग, अनुसूचित जनजाति वर्ग के प्रत्याशियों को 5 हजार रूपये की सुरक्षा निधि नामजदगी का पर्चा दाखिल करते वक्त जमा करानी होती है। व्यवस्था यह है कि उम्मीदवार यदि अपने विधानसभा क्षेत्र मेें पड़े कुल वैध मतों का 16.66 प्रतिशत हिस्सा (छटवां हिस्सा) भी हासिल न कर सके तो फिर उसके लिए अपनी यह जमानत राशि बचाना मुमकिन नहीं रह जाता है।
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