बेटी को बचाने के लिए 20 मिनट तक तेंदुए से संघर्ष करती रही मां
मुरैना। भैंसाई गांव की 25 वर्षीय आशा पत्नी श्याम सिंह कुशवाह ने अपनी दो साल की बेटी को बचाने के लिए 20 मिनट तक तेंदुए से संघर्ष करती रही। आखिर में तेंदुआ हार मानकर भाग निकला। घायल महिला को जिला अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया गया। हालांकि सूचना मिलने के बाद वन विभाग के कर्मचारी महिला से पूछताछ करने आए और मौके पर जाकर तेंदुए के पदचिह्न भी लिए।
घटनाक्रम के मुताबिक भैंसाई जौरा निवासी आशा शुक्रवार को अपने मायके भवनपुरा भैंसाई से पैदल जा रही थी। रास्ते में खेत में से अचानक तेंदुए का बच्चा निकला और उस पर हमला कर दिया। अचानक हुए हमले से आशा चौंक गई और खेत में गिर गई। इस दौरान उसकी बेटी भी खेत में गिर गई। तेंदुए का बच्चा उसकी बेटी पर झपटा तो आशा बेटी को बचाने के लिए तेंदुए से भिड़ गई और उसे दबा लिया।
तकरीबन 20 मिनट तक तो आशा तेंदुए के बच्चे को दबाकर रखे रही, लेकिन अचानक उसके हाथ से तेंदुआ फिसल गया और हमला करने लगा। घायल हालत में महिला व उसकी बच्ची को जौरा अस्पताल लाया गया। जहां से उसे मुरैना अस्पताल रेफर कर दिया गया। घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम महिला से पूछताछ करने जिला अस्पताल आई। अब वन कर्मी मौके पर जाकर पदचिन्हों से कन्फर्म करेंगे कि वह तेंदुआ ही था या कोई अन्य जानवर।
गांवों में फैली दहशत
भैंसाई व भवनपुरा सहित आसपास के गांवों में इस घटना के बाद तेंदुए की दहशत फैल गई। हालांकि वन विभाग व पुलिस की टीम सर्चिंग में लगी हुई है। चूंकि भैंसाई के आसपास जंगल है इसलिए लोगों का अनुमान है कि यहीं से निकलकर तेंदुए का बच्चा बाहर आ गया होगा।
तेंदुए के बच्चे का सिर जमीन पर दबाए रखी रही
आशा कुशवाह ने बताया कि वो अकेली बच्ची के साथ पैदल मायके जा रही थी। रास्ते में अचानक फूलों के खेत से तेंदुए का बच्चा निकला और उसके पैरों पर हमला कर दिया। जब उसे भगाने का प्रयास किया तो उसने महिला व बच्ची के ऊपर हमला कर दिया। बच्ची को सीने से लगाए करीब 20 मिनट तक तेंदुए के बच्चे के सिर को जमीन में दबा कर रखा, लेकिन वह एक बार फिर फिसल गया और हमला करने का प्रयास करने लगा, लेकिन तभी सामने से एक व्यक्ति आ गया। इसके बाद तेंदुआ भाग गया।
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