काशी में देव मंदिरों को तोड़ने वाले अयोध्या मंदिर निर्माण की अधिकारी कैसे: जगतगुरु शंकराचार्य
जबलपुर। जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज आज जबलपुर पधारे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से भी चर्चा की, पत्रकारों के संबोधन के दौरान जगत गुरु शंकराचार्य ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा एक परमधमादेश देश की संसद के सभी सदस्यों सहित लोकसभा अध्यक्ष को प्रेषित किया जा रहा है। ताकि वे लोकसभा के पटल पर 11 दिसंबर से आरंभ हो रहे शीतकालीन सत्र में रख सकें। इसमें कहा गया है कि रामलला मंदिर निर्माण में लखनऊ खंडपीठ ने प्रतिदिन सुनवाई की। वहीं तीन न्यायाधीशों की दूसरी खंडपीठ द्वारा प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई ना करने का आदेश न्याय का अनुशासन के प्रतिकूल नहीं? आगे कहा कि काशी में मंदिरों का तोड़ा जाना धार्मिक, शास्त्रीय, अनैतिक और अवैधानिक है। काशी विश्वनाथ गलियारे के बहाने प्राचीन मंदिरों का शासन तंत्र के द्वारा विनिष्टीकरण हिंदू धर्म पर आघात व धर्म विरुद्ध बताया । उन्होंने प्रश्न उठाते हुए कहा कि काशी में देव मंदिरों को तोड़ने वाले अयोध्या में मंदिर निर्माण के अधिकारी कैसे हो सकते हैं? मंदिर निर्माण के सवाल पर जगद्गुरु का कहना था की हर हिंदू की मन की भावना मंदिर निर्माण से जुड़ी हुई है लेकिन राजनीति के चलते इसमें विलंब हो रहा है। आर एस एस पर प्रतिबंध लगाने के मामले में जगद्गुरु ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा की आर एस एस और भाजपा दोनों सिक्के के दो पहलू हैं और इन दोनों की कथनी करनी में जमीन आसमान का अंतर है। जिसे जनता देख चुकी है और समय आने पर इन्हें नकारने के लिए भी तैयार बैठी है। जगद्गुरु शंकराचार्य का कहना है कि यह परमधर्म संसद 1008 निर्गत करती है जिसे संविधान संशोधन के माध्यम से न्यायालय में त्वरित सुनवाई करवा कर श्री राम जन्मभूमि में चिर प्रतीक्षित श्री राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त होना सुनिश्चित हो।
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