जन अभियान परिषद की गतिविधियां अब चुनाव आयोग के निशाने पर, अलग से बैठक करने पर रोक
भोपाल। जन अभियान परिषद की गतिविधियां अब चुनाव आयोग के निशाने पर आ गई हैं। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय ने परिषद की अलग से बैठक पर रोक लगा दी है।
साथ ही शासन से कहा गया है कि परिषद की गतिविधियों पर अंकुश लगाएं और निगरानी भी रखें। प्रदेश कांग्रेस ने जन अभियान परिषद द्वारा भाजपा के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया था, जो पन्ना और होशंगाबाद में प्रमाणित भी हो गया। इसके बाद यह कदम उठाया गया है।
प्रदेश कांग्रेस की शिकायत पर पन्ना के समन्वयक सुनील वर्मन को भाजपा से जुड़ी प्रचार सामग्री ले जाते हुए पकड़ा गया था, लेकिन पुलिस ने प्रभावी कार्रवाई नहीं की थी। इसके मद्देनजर कांग्रेस ने फिर आपत्ति उठाई, जिस पर वर्मन को हटाया गया और चार कर्मियों को निलंबित कर दिया।
इसी तरह होशंगाबाद के बाबई में परिषद के मेंटर हर्ष तिवारी द्वारा शासन की योजना का प्रचार-प्रसार करने की शिकायत सही पाई गई। तिवारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव ने बताया कि जन अभियान परिषद की गतिविधियों को लेकर शासन को पत्र लिखा है। इसमें कहा है कि किसी भी स्तर पर परिषद की बैठकें न करें।
कृषि मंत्री गौरीशंकर बिसेन का सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो जांच के लिए फॉरेंसिक लैब को भेजा गया है। कांग्रेस ने वीडियो को लेकर शिकायत की थी कि बिसेन मतदाताओं को प्रलोभन दे रहे हैं। वायरल वीडियो में वे दस हजार साड़ी बांटने और फिर वोट क्यों नहीं मिलने का जिक्र चलती गाड़ी में करते दिखाई दे रहे हैं।
चुनाव ड्यूटी में लगे अधिकारियों-कर्मचारियों को नामांकन की प्रक्रिया खत्म होने के साथ ही यह घोषणा करनी होगी कि उनका कोई रिश्तेदार चुनाव मैदान में नहीं है। मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने बताया कि नायब तहसीलदार से लेकर चुनाव से सीधे जुड़े अधिकारियों को इससे संबंधित प्रमाणपत्र देना होगा। इसके आधार पर परीक्षण होगा।
प्रदेश कांग्रेस द्वारा चुनाव प्रचार के लिए तैयार विज्ञापन ‘मामा तो गयो” को मीडिया निगरानी एवं प्रमाणीकरण समिति से अनुमति नहीं मिली है। इसको लेकर पार्टी ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी की अध्यक्षता वाली समिति में अपील की है। कांताराव ने बताया कि कमेटी के फैसले से यदि दल संतुष्ट नहीं होता है तो उसे अपील करने का अधिकार है।
मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद (मैपकास्ट) द्वारा संतों को भोज कराने की शिकायत की रिपोर्ट अभी तक नहीं आई है। वहीं, आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों में अभी तक 12 सौ एफआईआर दर्ज हो चुकी हैं।
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