राम की नगरी चित्रकूट के उपचुनाव में रामपथ बना प्रमुख चुनावी मुद्दा
राजनीतिक डेस्क । चित्रकूट के रण में राम और रामपथ विकास एक बड़ा मुद्दा उभर कर सामने आया है. भाजपा जहां रामपथ विकास के सपने दिखाकर जनता को भाजपा के पक्ष में माहौल बना रही तो विपक्षी दल कांग्रेस राम पथ विकास को कोरी कल्पना करार दे रही है.
सतना जिले के चित्रकूट में भगवान राम ने बारह साल बिताए. धार्मिक महत्व के इस क्षेत्र में अब चुनावी माहौल है. दिवंगत कांग्रेसी विधायक प्रेम सिंह से खाली हुई इस सीट पर अब कांग्रेस और भाजपा दोनों कब्जा जमाने के लिए सारे हथगंडे अपना रहे हैं.
इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने रामपथ विकास का मुद्दा जोर शोर से उठाया है. भाजपा का दावा है कि चित्रकूट देश के पटल पर दिव्य नगरी के रूप में विकसित होगी और रामपथ का विकास सुनियोजित तरीके से किया जाएगा. 13 अप्रैल 2010 में रामपथ विकास के लिए काम शुरू हुआ.
रामपथ को लेकर कांग्रेस भी जनता के बीच जा रही है, मगर विकास नही बल्कि सरकार की इस घोषणा को सिर्फ कल्पना बता रही है. 2010 में शुरू हुई इस योजना में हुए भ्रष्टाचार और उपेक्षा को लेकर जनता के बीच सरकार की करनी और कथनी में अंतर बता रही है.
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आरोप लगाया है कि सरकार को रामपथ की याद चुनाव के समय ही आती है. उन्होंने कहा कि रामपथ मार्ग पर भाजपा के नेता हो खनन कर ऐतिहासिक धरोहर नष्ट कर रहे हैं.
बहरहाल, रामपथ विकास के नाम पर भाजपा ने 2014 का चुनाव लड़ा मगर जीत नही मिली. हार के बाद रामपथ का विकास की योजनाएं फाइलों में दफन हो गई जो पिछले तीन माह से खुली. रामपथ विकास चित्रकूट के रण का चुनावी मुद्दा हो गया. अब ये मुद्दा किसे विजय की खुशियां देता है और किसे मात, ये 12 नवंबर को सामने आएगा.
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