राज्यसभा उपसभापति चुनाव में सियासी शह-मात का दांव बेहद दिलचस्प, जानिए कौन पड रहा भारी
नई दिल्ली। राज्यसभा उपसभापति चुनाव में सियासी शह-मात का दांव बेहद दिलचस्प हो गया है। राजग उम्मीदवार हरिवंश का पलड़ा भारी होने के संकेतों के बीच गैर कांग्रेसी विपक्षी दलों ने मुकाबले में अपने चेहरे को दांव पर लगाने से कदम खींच लिए हैं। हालांकि विपक्षी एकजुटता को बचाए रखने की रणनीति के तहत विपक्षी कुनबे के सभी दलों ने उपसभापति पद के लिए कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करने का फैसला किया है।
बदली सियासी परिस्थितियों में कांग्रेस अपने सांसद बीके हरिप्रसाद और मनोनीत सदस्य वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी को उम्मीदवार बनाने पर गौर कर रही है। उपसभापति पद की उम्मीदवारी तय करने के लिए विपक्षी खेमे के दलों की कांग्रेस की अगुआई में मंगलवार दिन भर बैठकों के तीन दौर हुए।
सुबह की पहली बैठक में राकांपा की वंदना चव्हाण को उम्मीदवार बनाने पर सहमति बन गई। बसपा के सतीश मिश्र और टीएमसी के डेरेक ओब्रायन ने प्रस्ताव व अनुमोदन भी कर दिया। राजग से खफा शिवसेना को मराठी मानुष के नाम पर तोड़ने की रणनीति के तहत वंदना की उम्मीदवारी को विपक्षी खेमा दमदार आंक रहा था। हालांकि इसकी औपचारिक घोषणा करने से पहले सरकार की रणनीति का आकलन करने का निर्णय हुआ।
नीतीश कुमार भी सक्रिय
हरिवंश की जीत का आधार तैयार करने के लिए केंद्र की राजग सरकार के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी फोन पर सक्रियता बढ़ा दी। उन्होंने बीजद प्रमुख ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से बात कर हरिवंश के लिए समर्थन मांगा। उन्होंने टीआरएस प्रमुख और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को भी फोन किया।
अन्नाद्रमुक पहले से ही सरकार का साथ देने को तैयार है तो वाईएसआर कांग्रेस भी राजग के खिलाफ नहीं। राजग व नीतीश के इस सियासी ऑपरेशन को देखते हुए विपक्षी खेमे में शामिल दलों ने राजनीतिक वजहों से अपने चेहरे को चुनाव लड़ाने से मना कर दिया।
राकांपा पीछे हट गई
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और अहमद पटेल के साथ विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक में शाम छह बजे राकांपा ने साफ कर दिया कि वह वंदना चव्हाण को उम्मीदवार बनाने के लिए तैयार नहीं है। द्रमुक के त्रिची शिवा पहले ही दावेदारी से हट गए थे।
You must log in to post a comment.