टूटे हुए ट्रैक पर कपड़ा बांधकर सेंट्रल रेलवे ने निकाली ट्रेन, जानिए क्या दी सफाई
मुंबई। रेलवे की लापरवाही का एक वीडियो सामने आया है। टूटी हुई पटरियों को अस्थायी रूप से सही करने के लिए उस पर कपड़ा बांध दिया गया और चार यात्री ट्रेनों को उस पर गुजारा गया। मामले के सामने आने के बाद सेंट्रल रेलवे ने कहा कि उसने यात्रियों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया है। अधिकारियों ने कहा कि यह सुरक्षा में कोई खामी नहीं थी और उस स्थिति में यह सबसे अच्छा फैसला था।
सूत्रों ने बताया कि शाम 6.15 बजे मुंबई के मानखुर्द रेलवे स्टेशन के पास रेलवे ट्रैक के टूटा होने की जानकारी मिली थी। रेलवे अधिकारियों ने कहा कि पटरी न तो अलग हुई थी और न ही विभाजित थी, उसमें बस एक डेंट था। पटरी फिश प्लेट से जुड़ी हुई थी। इस टूटे हुए ट्रैक पर कपड़ा लगाकर लोकल ट्रेन को निकाला गया। सेंट्रेल रेलवे के अधिकारियों ने कहा कि शाम के समय काफी रश होता है।
इसके साथ ही ट्रेनों को बिना देर किए चलाने का दबाव भी था। पर्मानेंट वे इंस्पेक्टर और गैंगमैन ने ट्रैक पर कपड़ा बांधकर गैप को भरने का फैसला किया। यदि ऐसा नहीं किया गया होता, तो रश ऑवर में कई ट्रेनें लेट हो जातीं। इस पूरी प्रक्रिया में 26 मिनट का समय लगा और इसके बाद ट्रेनों को धीमी रफ्तार से गुजरने की इजाजत दे दी गई।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रश ऑवर में यात्रियों से भरी चार ट्रेनों को इस टूटे हुए ट्रैक से गुजारा गया और इसके बाद ट्रैक की स्थायी रूप से मरम्मत की गई। इस घटना से पहले हार्बर लाइन की सेवाएं पूरे दिन के लिए बाधित हो गई थीं क्योंकि मानखुर्द के पास के ट्रैक बारिश का पानी भरने की वजह से डूब गए थे।
सेंट्रल रेलवे के चीफ पीआरओ सुनील उदसाई ने बताया कि कपड़े का उपयोग गैप को भरने के लिए नहीं, बल्कि एक मार्कर के रूप में किया गया। ट्रैक पर फिश प्लेट टाइट बोल्ट के साथ यथावत थी। यह सुनिश्चित करने के बाद ही पर्मानेंट वे अधिकारी ने ट्रेन को आगे बढ़ने की अनुमति दी। बताते चलें कि पी-वे अधिकारी के पास सीमित गति से ट्रेन पास करने का अधिकार है।
सुनील ने कहा कि इस तरह के क्षतिग्रस्त हिस्सों को पटरियों के प्रतिस्थापन के लिए चिह्नित किया गया है। चूंकि भारी बारिश हो रही थी और पेंट बारिश में नहीं टिकता, इसलिए एक कपड़ा का इस्तेमाल गैप को चिह्नित करने के लिए किया गया था। लोकल ट्रेन को सामान्य प्रक्रिया के रूप में केवल 10 किमी प्रति घंटे की सीमित गति से गुजरने की अनुमति दी। इसलिए यात्रियों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया गया और सुरक्षा का कोई उल्लंघन नहीं हुआ।
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