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कटनी मुड़वारा सीटः 14 चुनावों में सिर्फ 2 महिला विधायक!

कटनी। नारी सशक्तिकरण, बेटी बढ़ाओ, महिलाओं का सम्मान जैसे नारे यूं तो खूब गूंजते रहते हैं, लेकिन हकीकत से इतर कोई भी राजनीतिक दल महिलाओं को कानून बनाने अर्थात विधायिका की जिम्मेदारी देना नहीं चाहता।

और तो और कांग्रेस सोनिया गांधी, बसपा मायावती, तृणमूल ममता बैनर्जी सहित दिवंगत जयललिता की एआईएडीएमके जैसी पार्टी जिनका नेतृत्व महिला के पास रहा उन्होंने भी लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं को 50 फीसदी तो क्या 33 फीसदी आरक्षण के लिए अपने स्वर मुखर करना तो दूर संसद में भी अपने सांसद विधायकों अथवा स्वयं इसका विरोध करने की जहमत नहीं उठाई।

मध्यप्रदेश की सरकार ने थोड़ी सी मेहरबानी दिखाई तो निकायों में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण दे दिया पर देश की लोकसभा हो या फिर विधानसभा यहां महिलाओं का प्रतिशत अंगुलियों पर गिने जाने वाला है। देश प्रदेश की बात को छोड़ सिर्फ कटनी मुड़वारा सीट की ही बात करें तो मध्यप्रदेश गठन के बाद से हुए 14 विधानसभा चुनावों में कटनी शहर सीट से 3 बार ही महिला उम्मीदवार को मौका मिला। इसमे 2 बार महिला को मौका देकर कांग्रेस भाजपा से आगे है।

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रामरानी जौहर (अब दिवंगत) को कांग्रेस ने 2 बार कटनी मुड़वारा (उस वक्त कटनी रीठी) की कमान सौंपी। एक बार उन्हें सफलता मिली तो दूसरी बार वे चुनाव हार गईं। इसके बाद भाजपा ने 2003 में महिला को मौका देते हुए अलका जैन को प्रत्याशी बनाया तो उन्होंने भी यहां पार्टी को निराश नहीं किया।

अच्छी जीत के साथ अलका विधानसभा पहुंची तो भाजपा को इस मुकाम तक पहुंचाने वाली फायरब्रांड नेता उमा भारती ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में अलका को राज्यमंत्री बना कर कटनी के सम्मान को दोगुना कर दिया। राजनीतिक परिस्थितियों ने पलटी मारी तो एक झटके में सब कुछ बदल गया। जिस उमा की खातिर अलका जैन ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया था न सिर्फ उनका स्तीफा स्वीकार कर लिया गया वरन उन्हें फिर से मंत्री पद की शपथ तो दूर दोबारा टिकट तक नसीब नहीं हुई।

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शायद इसे ही राजनीति कहते हैं। उमा का ठप्पा अलका पर जो लगा तो आज तक वह उनका पीछा नहीं छोड़ रहा। कांग्रेस ने मुड़वारा सीट पर दो बार महिला को विधायक की टिकट देकर फिर कभी महिला को टिकट देने की हिम्मत नहीं जुताई। भाजपा एक बार अहसान कर अपने कर्तव्य से विमुख हो गई।

अब जबकि फिर से विधान सभा चुनावों की सरगर्मियां तेज हुईं तो महिला टिकिट का मुद्दा फिर से उठना स्वाभाविक है। वैसे भाजपा सूत्रों से छन कर आ रही खबरों को मानें तो पार्टी इस बार बड़वारा सुरक्षित सीट से महिला प्रत्याशी उतार सकती है, और अगर ऐसा होता है तो यह भाजपा को इस सीट पर पुनः काबिज कराने तुरुप का पत्ता हो सकता है।

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वैसे अंदरूनी सूत्रों को मानें तो कटनी में भी टिकिट चेंज से विजय के फार्मूले में पुरूष दावेदारों की लंबी फेहरिस्त के बाद भाजपा फिर से किसी महिला को टिकट दे दे तो आश्चर्य नहीं होगा। इसी तरह मुड़वारा सीट से कांग्रेस में भी किसी एक नाम पर सहमति नहीं बनी तो आखरी समय में टिकिट की लाटरी किसी महिला नेत्री के नाम पर खुल सकती है। वर्तमान पहलू पर गौर करें तो कांग्रेस के पास भाजपा के मुकाबले महिला चेहरों का टोटा है ऐसे में फिर से भाजपा में किसी महिला को मौका देकर सटीक निशाना लगा सकती है।

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