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राज्यसभा चुनाव में “पेन” का है अहम रोल, कहीं फिर न बिगाड़ दे गणित

वेब डेस्क


राज्यसभा चुनाव में इलेक्शन कमीशन ने एक खास किस्म के पेन के इस्तेमाल का निर्देश दिया है। इस पेन को कर्नाटक के मैसूर में स्थित मैसूर पेंट्स एवं वर्निश लिमिटेड ने तैयार किया है। पेन का रंग ग्रे होगा जबकी स्याही का रंग बैंगनी होगा। पेन यूज एंड थ्रो और नॉन रिफिलेबल प्रकृति का होगा। हर एक पेन के लिए विशिष्ट क्रम संख्या होगी। पेन पर काले रंग से भारत निर्वाचन आयोग का नाम और लोगो भी छपा होगा। पेन की निब सील होगी जिसे कोई खोल न सके। शायद आपको याद हो साल 2016 में हरियाणा में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान यही पेन काफी चर्चा में था।

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इस पेन की स्याही को लेकर काफी विवाद हुआ था। तत्कालीन समय में कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि बीजेपी की साजिश कर अपने उम्मीदवार सुभाष चंद्रा को जीत दिलाई है। इसी पेन का कमाल था कि कांग्रेस के 12 विधायकों के वोट खारिज हो गए थे। यूपी में भी केवल एक सीट को लेकर सभी पार्टियां एंड़ी चोटी का जोर लगा रही हैं। अगर यहां भी पेन पर पैनी नजर रखी गई तो हो सकता है कि बीएसपी, सपा और कांग्रेस को बड़ा नुकसान झेलना पड़े।
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एक सीट पर भी हार गई थी कांग्रेस
हरियाणा में राज्‍य सभा चुनावों में कांग्रेस समर्थित निर्दलीय उम्‍मीदवार आरके आनंद को हार झेलनी पड़ी थी। इस हार के पीछे स्‍याही और पेन को वजह बताया गया था। कांग्रेस इसे भाजपा की साजिश बताती रही और रिटर्निंग अधिकारी पर भी सवाल उठाया गया। वहीं चुनाव आयोग ने चुनाव को सही बता रहा है।

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राज्य सभा चुनाव में कांग्रेस के 12 उम्‍मीदवारों के वोट खारिज हो गया। वहीं पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा ने अपना बैलेट पेपर खाली छोड़ दिया था। इधर पूर्व संसदीय कार्य मंत्री रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कथित तौर पर अपना बैलेट पेपर सीएलपी प्रेसीडेंट किरण चौधरी को दिखाया। इसके बाद उनका वोट खारिज हो गया था।
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दूसरे पेन से नहीं डाला जाता वोेट
चुनाव आयोग के नियमानुसार विधायकों को विधान सभा सचिव की ओर दिए गए स्‍केच पेन से वोट डालना होता है। बैलेट पेपर को इंडिगो स्‍याही युक्‍त एक मिलीमीटर मोटाई वाली निब के पेन से ही मार्क किया जाना चाहिए। किसी अन्‍य स्‍याही से मार्क किए गए बैलेट पेपर को खारिज कर दिया जाता है।

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जिन 12 विधायकों का वोट खारिज हुआ उनका दावा था कि जो पेन उन्‍हें दिया गया उसी का इस्‍तेमाल उन्‍होंने किया। कांग्रेस विधायकों के वोट खारिज होने के बाद कई सवाल उठे थे। जिन कांग्रेस विधायकों के वोट खारिज हुए वे पहले भी राज्‍य सभा चुनावों में हिस्‍सा ले चुके हैं। उन्‍हें नियमों की जानकारी भी थी।

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