विश्व जल दिवस : प्रेम की निशानी है 50 किमी लंबी पाइप लाइन
भोपाल। शिकार खेलने नलकेश्वर के जंगलों में गए राजा मानसिंह तोमर ने वहां पर निडर युवती (गूजरी) को देखा तो वे उस पर मोहित हो गए। राजा ने गूजरी से विवाह का प्रस्ताव रखा। युवती ने राजा से विवाह करने के लिए तीन शर्तें रखीं। जिसमें पहली शर्त थी कि वह नलकेश्वर स्थित गोमुख से निकला पानी ही पीती है इसलिए यह पानी किले तक ले जाया जाए। राजा ने वह पानी किले तक ले जाने के लिए 50 किमी लंबी पानी की लाइन बनवाई, जिसके अवशेष आज भी नलकेश्वर में दिखाई देते हैं।
गांवों में प्रचलित जनश्रुति के मुताबिक नलकेश्वर और ग्वालियर का किला राजा मानसिंह तोमर और गूजरी (मृगनयनी) के अमिट और अटूट प्रेम का गवाह है। नलकेश्वर के जंगलों में राजा की शिकारगाह थी। नलकेश्वर के पहाड़ों के नीचे बहने वाली सांक नदी के किनारे राई गांव था। इसमें अधिकांश गुर्जर परिवारों के घर थे। मृगनयनी इसी गांव की रहने वाली थी। उसे पाने के लिए राजा मानसिंह तोमर ने नलकेश्वर के पहाड़ों को चीर कर पाइप लाइन डलवाई। इसका निर्माण इतना बेहतर था कि समय और मौसम की मार भी इसे हटा नहीं सकी।इतिहासकारों के मुताबिक राज मानसिंह का राज्यकाल 1486 के आसपास शुरू हुआ था।
12 माह बहने वाली नदी बन गई बरसाती
ग्रामीण बताते हैं कि सांक नदी पहले साल भर बहती रहती थी लेकिन अब इसमें सिर्फ बारिश के मौसम में ही पानी आता है। इसी नदी पर एक सदी पहले तिघरा बां बनवाया गया था। जो आज भी ग्वालियर शहर को पेयजल सप्लाई कर रहा है।
अब गांव में है केवल दो घर
तिघरा बां बनने के कारण राई गांव पूरी तरह से पानी में डूब गया। गांव वालों को विस्थापित कर ऊपर बसाया गया। वर्तमान में वहां पर केवल दो ही घर बचे हैं।
गोमुख से बहता है 365 दिन पानी
नलकेश्वर के जिस स्थान से यह पाइप लाइन शुरू हुई थी वहां पर पहाड़ के अंदर से 365 दिन पानी आता है जहां पर गोमुख बना हुआ है। साथ ही वहीं पर भगवान शिव का मंदिर भी है जिसमें उनका पूरा परिवार है। यह पानी काफी साफ है।
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