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चुनाव से पहले हैप्पीनेस इंडेक्स बन पाना मुश्किल

भोपाल। मध्यप्रदेश में जनता कितनी खुशहाल है, इसे मापने विधानसभा चुनाव के पहले हैप्पीनेस इंडेक्स का बन पाना फिलहाल दूर की कौड़ी नजर आ रही है। सरकार की योजना थी कि चुनाव में खुशहाली की ब्रांडिंग करने का मौका मिलेगा, लेकिन इस महत्वाकांक्षी कार्ययोजना का जमीन पर उतर पाना आसान नहीं है। आईआईटी खड़गपुर की मौजूदा तैयारियां तो अगले साल के संकेत दे रही हैं।

पौने दो साल की कवायद के बाद राज्य आनंद संस्थान ने एक दर्जन ऐसे बिंदु और विषय चिन्हित किए हैं, जिनके जरिए आम आदमी के सुख-दुख का स्तर मापा जा सकेगा। पिछले महीने भोपाल में हुई अंतर्राष्ट्रीय हैप्पीनेस कार्यशाला में इन बिंदुओं पर देश-दुनिया के करीब 40 विशेषज्ञों ने भी सहमति जताई है। भारतीय संदर्भ में मप्र के साढ़े सात करोड़ व्यक्तियों की आंतरिक और बाह्य प्रसन्नता के ग्राफ को कागज पर लाने के लिए अभी कई चरण बाकी हैं। सैद्धांतिक रूप से इतना तय हो चुका है कि मप्र के 25 से 30 हजार लोगों के बीच खुशहाली का यह महासर्वेक्षण किया जाएगा।

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खुशी मापने के मुद्दे

विभागीय सूत्रों का कहना है कि दुनिया के करीब ढाई दर्जन देशों में खुशहाली पर हुई रिसर्च के बाद जो एक समान मुद्दे मिले हैं, उनमें आंतरिक खुशी, आमदनी, आपसी संबंध, सुशासन, पर्यावरण, अधोसंरचना, ट्रांसपोर्ट, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, सामाजिक समानता और सांस्कृतिक व्यवस्थाएं शामिल हैं। मप्र में खुशहाली मापने के सर्वेक्षण के लिए जो प्रश्नावली तैयारी होगी, उनमें इन मुद्दों को रखा जाएगा।

यह रहेंगे सर्वे के संभावित सवाल

  • क्या आप खुश हैं? आपके जीवन में सुख-दुख के कारक क्या हैं?

  • फिर से जीवन का मौका मिले तो कितना बदलाव चाहेंगे?

  • मनोवैज्ञानिक प्रसन्नता और भौतिक चीजों का प्रभाव?

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जनगणना की तर्ज पर होगा सर्वे

आईआईटी खड़गपुर के हैप्पीनेस विभाग ने करार के बाद अपना अध्ययन पूरा कर लिया है। जनगणना की तर्ज पर यह सर्वेक्षण किया जाएगा। अध्ययन में सामने आए बिंदुओं पर प्रदेश के 10 जिलों में पायलट टेस्ट हो चुका है। अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में विशेषज्ञों के सुझाव की फाइनल रिपोर्ट तैयार होना है। राज्य आनंद संस्थान की हरी-झंडी और संशोधन के बाद प्रश्नावली आकार लेगी, फिर सैंपलिंग मैथड तय होगा। सवालों को ग्रामीण, शहरी, पुरुष, महिला, युवा और सीनियर सिटीजंस के अलावा शिक्षित और अशिक्षित लोगों से कैसे पूछें, इसका वर्गीकरण भी होना है। इसके बाद सर्वेयर्स की ट्रेनिंग होगी। सर्वे के नतीजों का डाटा कंप्यूटर में फीड कर विश्लेषण के बाद हैप्पीनेस इंडेक्स का स्वरूप सामने आ पाएगा।

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जटिल काम है हैप्पीनेस इंडेक्स

हैप्पीनेस इंडेक्स बड़ा जटिल काम है। फिलहाल हैप्पीनेस कार्यशाला की अनुशंसा पर प्रस्ताव पारित होगा। प्रदेश में करीब 25-30 हजार लोगों के बीच प्रसन्नता का आकलन होना है। इंडेक्स की रिपोर्ट का समय बता पाना फिलहाल संभव नहीं – मनोहर दुबे, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, राज्य आनंद संस्थान मप्र

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