Aachar Sanhita Effect: 5 चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये की जब्ती, अब इन पैसों का क्या होगा जानिए
Aachar Sanhita Effect: 5 चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये की जब्ती, अब इन पैसों का क्या होगा जानिए नकदी के साथ शराब और ड्रग्स भी जद में भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) ने सोमवार को बताया कि चुनाव अधिकारियों ने चुनाव की घोषणा के बाद से पांच चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की सूचना दी है। आयोग के अनुसार यह राशि इन पांच राज्यों में पिछले चुनावों के दौरान जब्ती के आंकड़ों की तुलना में 636 प्रतिशत अधिक है। पांच मतदान वाले राज्य मिजोरम, तेलंगाना, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना हैं।
चुनाव आयोग ने सोमवार को एक बयान में कहा, “चुनाव की घोषणा के बाद से पांच चुनावी राज्यों में 1760 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की सूचना मिली है, जो 2018 में इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों में की गई जब्ती से सात गुना (239.15 करोड़ रुपये) अधिक है।”
चुनाव आयोग के अनुसार इन पांच राज्यों में 2018 के विधानसभा चुनावों के दौरान जब्त राशि की तुलना में इस बार जब्त राशि में 636 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। चुनाव आयोग की ओर से साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार तेलंगाना जहां 30 नवंबर को चुनाव होने जा रहे हैं और वहां सबसे अधिक 659.2 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी जब्त की गई। इसके बाद राजस्थान में 650.7 करोड़ रुपये और मध्य प्रदेश में 323.7 करोड़ रुपये जब्त किए। इसके अलावे छत्तीसगढ़ में 76.7 करोड़ रुपये और मिजोरम में 49.6 करोड़ रुपये जब्त किए गए।
बता दें कि इससे पहले छह राज्यों गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और कर्नाटक में विधानसभा चुनावों के दौरान 1400 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई थी, जो इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों से 11 गुना अधिक थे। गुजरात, हिमाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और कर्नाटक में पिछले छह राज्य विधानसभा चुनावों में 6 करोड़ रुपये से अधिक की जब्ती की गई थी, जो इन राज्यों में पिछले विधानसभा चुनावों से 1400 गुना अधिक है।
ईसीआई ने आगे बताया कि जब्त की गई वस्तुओं में नकदी, शराब, ड्रग्स, कीमती धातुएं, जिनकी कीमत करोड़ों में है, मुफ्त उपहार और अन्य वस्तुएं शामिल हैं। बयान में कहा गया, “इस बार आयोग ने चुनाव व्यय निगरानी प्रणाली (ईएसएमएस) के माध्यम से निगरानी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी को भी शामिल किया है, जो काफी अहम साबित हो रहा है। यह बेहतर समन्वय और खुफिया जानकारी साझा करने के लिए केंद्र व राज्य के प्रवर्तन एजेंसियों की एक विस्तृत शृंखला को एक साथ लाता है।