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MP का वो इलाका जिसे माना जाता है सत्ता की Key, बीजेपी और कांग्रेस लगा रहीं पूरा जोर

MP का वो इलाका जिसे माना जाता है सत्ता की Key, बीजेपी और कांग्रेस लगा रहीं पूरा जोर, मध्य प्रदेश का राजनीतिक परिदृश्य गर्म हो रहा है क्योंकि राज्य 17 नवंबर को विधानसभा चुनाव के लिए तैयार है. बीजेपी और कांग्रेस मतदाताओं को लुभाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी जैसे उनके शीर्ष नेता प्रचार अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं. बीजेपी को अपना गढ़ बरकरार रखने का भरोसा है, जबकि कांग्रेस को वापसी की उम्मीद है.

चुनाव विभिन्न कारकों से भी प्रभावित होता है, जैसे बीजेपी के लिए सत्ता विरोधी लहर (जिसने पिछले दो दशकों में अधिकांश समय राज्य पर शासन किया है), उच्च बेरोजगारी दर और किसानों का संकट मुश्किल खड़ी कर सकती है.

बीजेपी ‘लाडली बहना योजना’ जैसी अपनी कल्याणकारी स्कीमों और प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता को भुना कर करके इन मुद्दों का मुकाबला करने की कोशिश कर रही है, जबकि कांग्रेस शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार की विफलताओं को उजागर करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.

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विंध्य क्षेत्र

समृद्ध विरासत की भूमि मध्य प्रदेश का विंध्य क्षेत्र इस चुनावी लड़ाई का बड़ा मोर्चा बनता जा रहा है. इस क्षेत्र में 30 सीटें हैं, जिन पर कब्जे का मतलब प्रदेश की सत्ता की चाबी का हाथ में होना है.

विंध्य क्षेत्र में पूर्वी मध्य प्रदेश के नौ जिलों – रीवा, शहडोल, सतना, सीधी, सिंगरौली, अनूपपुर, उमरिया, मैहर और मऊगंज – की 30 विधानसभा सीटें शामिल हैं.

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विंध्य राजनीतिक रूप से विविधतापूर्ण और गतिशील क्षेत्र है जिसने वर्षों से विभिन्न दलों और विचारधाराओं के उत्थान और पतन को देखा है.

बीजेपी का दबदबा

यह क्षेत्र 2003 से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गढ़ रहा है, जब उसने 30 में से 25 सीटें जीती थीं और शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनाई थी. बीजेपी ने 2008 और 2013 में अपना प्रदर्शन दोहराते हुए क्रमशः 24 और 23 सीटें जीतीं.

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हालांकि, 2018 में, बीजेपी को एक झटका लगा क्योंकि वह कांग्रेस से छह सीटें हार गई, जो चार निर्दलीय, दो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और एक समाजवादी पार्टी (एसपी) विधायकों के समर्थन से गठबंधन सरकार बनाने में कामयाब रही.

कांग्रेस की वापसी की उम्मीदें

कांग्रेस, जो कभी 1980 और 1990 के दशक में इस क्षेत्र पर हावी थी, अब बीजेपी के खिलाफ सत्ता-विरोधी कारक का फायदा उठाकर इस इलाके में फिर अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश कर रही है.