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सरकारी कार्यालय में दिव्यांगों के पास खुद चलकर जाएंगे अधि‍कारी, विराली मोदी की इस परेशानी को देखकर हुआ आदेश जारी

Relief To Disabled People: सरकारी कार्यालय में दिव्यांगों के पास खुद चलकर जाएंगे अधि‍कारी, विराली मोदी की इस परेशानी को देखकर आदेश जारी हुआ । सरकारी कार्यालय के दिव्यांगजनों की पहुंच से बाहर होने पर संबंधित अधिकारियों को ऐसे लोगों से मिलने के लिए भूतल या किसी अन्य सुलभ जगह पर जाना चाहिए। दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त की अदालत ने यह आदेश दिया।

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मुख्य आयुक्त का यह फैसला व्हीलचेयर पर चलने वाली विराली मोदी के अपनी शादी के दिन कष्टदायक अनुभव से गुजरने का एक वीडियो वायरल होने के बाद आया। उन्हें अपनी शादी के दिन शहर में विवाह रजिस्ट्रार के दूसरी मंजिल के कार्यालय में बड़ी मुश्किल से ले जाना पड़ा, क्योंकि इमारत में कोई लिफ्ट नहीं थी और अधिकारियों ने औपचारिकताएं पूरी करने के लिए नीचे आने से इन्कार कर दिया था।

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पासपोर्ट, वीजा सहित सार्वजनिक सेवा पर लागू होगा आदेश

वायरल वीडियो के बाद दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त राजेश अग्रवाल ने फैसला सुनाया कि स्पष्ट वैधानिक आदेशों के बावजूद विभिन्न सार्वजनिक भवनों और सार्वजनिक सेवाओं को अभी भी पूरी तरह से सुलभ नहीं बनाया गया है।

यह देखते हुए कि सरकार संचालित सार्वजनिक सेवाएं आम तौर पर एकाधिकारवादी हैं, जिससे लोगों के पास कहीं और सेवा लेने के लिए कोई विकल्प नहीं बचता है। इसलिए देशभर में किसी भी सरकारी कार्यालय के संबंधित अधिकारी, चाहे वह केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार का प्रतिष्ठान या स्थानीय सरकार, किसी भी भवन/परिसर से कार्य करते हुए, जो अभी भी पहुंच योग्य नहीं है, उन्हें भूतल या किसी अन्य स्थान पर जाना होगा।

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भवन/परिसर में जो आवश्यक कर्मचारियों और उपकरणों के साथ दिव्यांगजनों के लिए सुलभ हो और वहीं सेवा प्रदान करें। यह सरकार के आउटसोर्स की गई सेवा जैसे पासपोर्ट, वीजा सेवाएं, जनसुविधा केंद्र, सीएससी सहित किसी भी सार्वजनिक सेवा पर लागू होगा।

एयरलाइंस को प्रावधान लागू करने की जरूरत

दिव्यांगजनों के लिए मुख्य आयुक्त की अदालत ने फैसले में कहा कि भारत में परिचालन करने वाली विदेशी कंपनियों सहित सभी एयरलाइंस को दिव्यांगों के अधिकार अधिनियम, 2016 के प्रावधानों को लागू करने की जरूरत है। फैसला स्मृति राजेश की सोशल मीडिया पर एक पोस्ट पर स्वत: संज्ञान लेने के बाद आया। इसमें आरोप लगाया गया था कि ऑटिज्म से पीड़ित उनके बेटे के साथ बंगलूरू हवाईअड्डे पर श्रीलंकाई एयरलाइंस के कर्मचारियों ने दुर्व्यवहार किया था।

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