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MP Election Chat बड़ा नेता बनाम घर का बेटा में फंसे विजयवर्गीय, बागी से मुश्किल में है कांग्रेस

MP Election Chat बड़ा नेता बनाम घर का बेटा में फंसे विजयवर्गीय तो वहीँ बागियों ने कांग्रेस औऱ भाजपा दोनों को परेशान कर रखा। इंदौर अंचल के मीडिया नजर से हालात काफी दिलचस्प नजर आ रहे हैं। 

इंदौर जिले की नौ सीटों में सबसे चर्चा में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की इंदौर-1 है। 2018 में यहां कांग्रेस के संजय शुक्ला जीते थे। संजय विजयवर्गीय के बड़े करीबी माने जाते हैं और पारिवारिक ताल्लुकात हैं। भाजपा ने इस सीट को कब्जाने के लिए विजयवर्गीय को ही खड़ा कर दिया। यहां दीपचंद पटेल कहते हैं कि युवा संजय के साथ और बुजुर्ग विजयवर्गीय के साथ दिख रहे हैं।

कांग्रेस से जीतू पटवारी और भाजपा से मधु वर्मा आमने -सामने हैं। जीतू दो बार से विधायक हैं। राऊ में किशन कुमार ने बताया जीतू कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीब हैं। वहीं, मधु वर्मा इंदौर विकास प्राधिकरण की अध्यक्ष रहे हैं। भाजपा ने यह सीट जीतने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगाया है

इंदौर-1 में मिलीं ममता शुक्ला बताती हैं कि विजयवर्गीय के बेटे आकाश इंदौर-3 से विधायक हैं। भाजपा ने उनका टिकट काटकर विजयवर्गीय को दिया लेकिन सीट बदल दी। विजयवर्गीय ने इंदौर-1 में ब्राह्मण मतदाताओं को साधने के लिए इंदौर-3 से राकेश शुक्ला गोलू को टिकट दिला दिया है। गोलू इंदौर-1 के कांग्रेस प्रत्याशी संजय के चचेरे भाई हैं। विजयवर्गीय यहां बड़ा नेता बनाम घर का बेटा में फंस गए हैं।

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पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के बेटे की बगावत में फंसी अर्चना चिटनिस
बुरहानपुर : यहां कांग्रेस ने पिछले चुनाव में निर्दलीय जीते सुरेंद्र सिंह शेरा को उतारा है। भाजपा से फिर प्रदेश प्रवक्ता अर्चना चिटनिस हैं। यहां मिले कौशलेंद्र दंडोतिया बताते हैं कि भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह के बागी होने से लड़ाई त्रिकोणीय हो गई है।

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बागी से मुश्किल में है कांग्रेस
अंबेडकर नगर महू : राज्य की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर मैदान में हैं। कांग्रेस सेे राम किशोर शुक्ला हैं। टिकट कटने पर कांग्रेस के बागी अंतर सिंह दरबार भी मैदान में हैं। कांग्रेस का एक तबका खुलेआम दरबार के साथ है।
जयस कई सीटों पर असरदार : महू में मिले जयंत सिकरवार कहते हैं, कांग्रेस से अलग हुआ जय आदिवासी युवा शक्ति ‘जयस’ कई जगह समीकरण बिगाड़ रहा है। जयस ने 15 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। 2018 में जयस से गठबंधन कर कांग्रेस 13 सीटें जीती थी। अलीराजपुर, थांदला व राजपुर इलाकों में जयस का प्रभाव दिख रहा है।

हरसूद में मिले रामलखन कहते हैं कि हरसूद 2004 में डूब गया था। लोग विस्थापित हुए। 2011 में नर्मदा विकास प्राधिकरण ने इस विस्थापित लोगों के इलाके को चंडीगढ़ की तरह बना देना को कहा था।  कुछ नहीं हुआ। लेकिन, कहते हैं कि विजय शाह (वन मंत्री) सात बार के विधायक हैं और आठवीं बार मैदान में हैं। कांग्रेस के सुखराम साल्वे कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

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खंडवा में प्रसिद्ध ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। यहां खंडवा के केशव ललित ने बताया कि सर्वाधिक चर्चित सीट झाबुआ में पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया के बेटे डा. विक्रांत भूरिया चुनाव लड़ रहे हैं। कांतिलाल विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रहते आए हैं। भाजपा ने अपने जिलाध्यक्ष भानु भूरिया को लड़ाया है।

ये है प्रमुख

किसान फसल की लाभकारी कीमत मिलने में मुश्किल गिना रहा है। यहां भाजपा की 12000 रुपये सम्मान निधि और लाडली बहना योजना के लिए 1250 रुपये महीने भुगतान और कांग्रेस की किसान कर्ज माफी और 2600 रुपये में गेंहू खरीदने का वादा चर्चा में है।